Archive | कला-संस्कृति

कवि कैलाष मड़बैया को तीन राष्ट्ीय पुरस्कार

Posted on 17 February 2013 by admin

kailashkailash1ख्यात कवि और लगभग दो दर्जन ग्रंथों के रचयिता साहित्यकार श्री कैलाष मड़बैया को लगातार उत्तर ,मध्य और दक्षिण भारत के तीन राष्ट्ीय सम्मानों से अजग अलग नवाजा गया है। उत्सव गणतंत्र में श्री मड़बैया को उनके राष्ट्ीय साहित्यिक अवदान के लिये गएातंत्र दिवस पर पद्यश्री रमेषषाह आदि ने देष के11साहित्यकारों  के साथ भोपाल में ‘अभिनव षब्द षिल्पी’ से अलंकृत किया गया। वहीं वर्ष 2013 का प्रतिष्ठित राजा संतोषसिंह सम्मान उत्तर के छतरपुर में जिला कलैक्टर एवं नगर निगम अध्यक्ष ने नववर्ष लोक भाषा बंुदेली अलंकरण अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में भारी जन समूह में श्री मड़बैया जी को मानदेयराषि और अभिनंदन पत्र आदि भेट किये गये। उधर दक्षिण भारत में श्री कैलाष मड़बैया को वर्षान्त पर कर्नाटक के धवला तीर्थ में राष्ट्ीय प्राकृत षोध संस्थान में काव्य वचनम के साथ गोम्मट सम्मान में वस्त्रांग आदि अलंकरण प्रख्यात कन्नड़ विद्वान/ भट्टारकों के आचार्य पं0 पाॅंषुपाल पंडित श्री प्रभाकराचार्य जी द्वारा भेट किये गये। हमारी ओर से भी कवि कैलाष मड़बैया भोपाल को अनत बधाइयाॅं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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मिस्ट्री हंटर्स इंडिया

Posted on 07 December 2012 by admin

himanshu-apoorva-2डिस्कवरी किड्स बच्चों के लिए अपनी पहली नई और रोमांचक प्रस्तुति पेश करने जा रहा है, इस रोमांचक अनुभव का नाम है मिस्ट्री हंटर्स इंडिया। मिस्ट्री हंटर्स इंडिया पेचीदा मिथकों के रहस्य का अनावरण करते हुए अन्य राज्यों के अलावा महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, केरल, राजस्थान और दिल्ली के छिपे हुए और अस्पष्ट रहस्यों के जवाब भी तलाशेगा।
मिस्ट्री हंटर्स इंडिया कार्यक्रम में प्रतिभावान किशोर और किशोरी हिमांशु और अपूर्वा पूरे देश की यात्रा करेंगे और उन दास्तानों का लेखा-जोखा लेंगे जो सदियों से लोगों को हैरत में डालते आए हैं। ये दोनों उत्सुक किशोर मध्यप्रदेश की विचित्र पेंटिंगों से जुड़े सच का खुलासा करेंगे, केरल के उन पिग्मी हाथियों के अस्तित्व की जड़ तक जाएंगे जिन्हें 200 साल से भी पहले विलुप्त मान लिया गया था, वे ऐसे ही अनेक दिलकश रहस्यों के साक्षी बनेंगे।
इस मिस्ट्री हंटर्स टीम की मदद करेंगे मंत्रा या डाउटिंग देव, वे मिस्ट्री हंटर्स लैब के एक ऐसे किरदार में हैं, जो वैज्ञानिक हैं और हमेशा संशय में रहते हैं। वे मजेदार प्रयोगों को अपने ही मजेदार तरीके से अंजाम देते हैं और रहस्यों को सुलझाने में मदद करते हैं। तीन लोगों का ये समूह दर्शकों को भारत के अलग-अलग स्थानों पर ले जाकर उनके दर्शन करेगा और पुरातत्व से जुड़े चमत्कारों, श्रापग्रस्त शहरों, घने वनों तथा और भी अनेक ऐसी ही चीजों से जुड़ी वास्तविकताओं का खुलासा करेगा।
himanshu-apoorva-1राहुल जौहरी, सीनियर वाइस प्रैजिडैंट और जनरल मैनेजर - दक्षिण एशिया, डिस्कवरी नैटवक्र्स एशिया-पैसिफिक ने कहा, ‘बाल कार्यक्रम श्रेणी में डिस्कवरी किड्स एक बिल्कुल नई तरह की प्रस्तुति है जिसकी प्रशंसा इसके मजेदार, ज्ञानवान बनाने वाले और परिवर्तन लाने वाले इसके कार्यक्रमों के लिए की गई है। हमें भारत पर आधारित इसकी पहली श्रृंखला मिस्ट्री हंटर्स इंडिया, प्रस्तुत करते हुए बड़ा हर्ष हो रहा है। इस श्रृंखला को प्रतिभावान किशोरों - अपूर्वा और हिमांशु ने पेश किया है, और यह ऐसी दिलचस्प कहानियों को प्रस्तुत करती है जो आम मिथकों और ऐसी घटनाओं की रोमांचक व्याख्याएं सामने लाती है जिनके बारे में पहले से जानकारी नहीं है।
अपूर्वा और हिमांशु वीडियो कैमरा और अपनी सहजवृत्ति के बल पर तथ्यों को इकट्ठा करते हैं, विशेषज्ञों से मिलते हैं और व्याख्याएं प्रस्तुत करते हैं।
इस श्रृंखला को प्रमोट करने के लिए डिस्कवरी किड्स ने दर्शकों के लिए मिस्ट्री हंटर्स इंडिया में फिल्म पर कैद किए गए रहस्यों पर आधारित एक रोमांचक प्रतियोगिता का भी आयोजन किया है। बच्चे 56161 पर DISCOVERYKIDS<space>A/B/C टाइप करके
एस एम एस के जरिये अपने जवाब भेज सकते हैं, या वे www.dkids.co.in/contest पर लाॅग आॅन करके डिस्कवरी किड्स से रोमांचक पुरस्कार भी जीत सकते हैं।
मिस्ट्री हंटर्स इंडिया, अपार्टमैंट 11 फाॅर्मेट पर आधारित है और इसका निर्माण बी बी सी वल्र्डवाइड प्राॅडक्शन्स ने किया है।
मिस्ट्री हंटर्स इंडिया में जिन मिथकों की जांच पड़ताल की गई है, उनमें से कुछ हैंः
मिस्ट्री हंटर्स अहमदाबाद पहुंच कर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त स्तंभ जाते हैं ताकि पता लगा सकें कि झूलता मीनार हिलती क्यों है।
मिस्ट्री हंटर्स एक सपेरे से सांप पकड़ने और सांपों को अपने वश में करने की तरकीबें सीखते हैं।
अंजीर के अंदर छोटे-छोटे कीट होते हैं। तो क्या इसका ये मतलब हुआ कि जब हम अंजीर खाते हैं तो कीटों को भी खाते हैं?
चतुर्भुजनाथ नाला में अजीब सी पेंटिंगें और शिला आश्रय स्थल है, स्थानीय लोगों का मानना है कि इन्हें जंगल में रहने वाले महाकाय जीवों और राक्षसों ने बनाया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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अंग्रेज विद्वान वैदिक ज्ञान को कमतर बताकर भारतीय संस्कृति नष्ट करना चाहते थे

Posted on 02 September 2012 by admin

हजारों वर्ष प्राचीन वैदिक काल के समाज, ज्ञान-विज्ञान और दर्शन पर पत्रकार विधान परिषद सदस्य हृदयनारायण दीक्षित की किताब ‘मधुविद्या’का विमोचन उ0प्र0 हिन्दी संस्थान के निराला सभागार में पूर्व केन्द्रीय मंत्री, संसद की लोकलेखा समिति के सभापति डाॅ0 मुरली मनोहर जोशी ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता उ0प्र0 विधानसभा के अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने की।
madhuvidya-7डाॅ0 जोशी ने कहा कि अंग्रेज विद्वान वैदिक ज्ञान को कमतर बताकर भारतीय संस्कृति नष्ट करना चाहते थे। मैक्समूलर ने अपनी पत्नी को लिखे पत्र में भारतीय संस्कृति और दर्शन को नष्ट करने की बात कही थी। लेकिन दयानंद, सायण, सातवलेकर आदि विद्वानों ने ऋग्वेद और वैदिक साहित्य के भाष्य किये। वेदों में विश्व को मधुमय बनाने की स्तुतियां हैं। श्री दीक्षित ने सरल, सुबोध भाषा में वेदों की मधुविद्या को पुस्तक रूप में तैयार किया है। उन्होंने दीक्षित की किताब ‘मधुविद्या’ को पढ़े जाने की अपील की। उन्होंने कहा कि प्राचीन ज्ञान विज्ञान के सनातन प्रवाह के कारण ही भारत की प्रतिष्ठा है।
अध्यक्षीय भाषण में विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने कहा कि श्री दीक्षित पहले लड़ाकू विधायक थे। तमाम विषय उठाते थे। अब भारतीय संस्कृति व ज्ञान विज्ञान पर निरंतर लिख रहे हैं। ‘मधुविद्या’ के वैदिक ज्ञान को उन्होंने व्यावहारिक रूप में प्रस्तुत किया है। उम्मीद है कि यह पुस्तक खूब लोकप्रिय होगी और वे इसी प्रकार लगातार लिखते रहेंगे।
मुख्य वक्ता वेद विद्वान लखनऊ विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के पूर्व अध्यक्ष ओम प्रकाश पाण्डेय ने ऋग्वेद से लेकर उपनिषद् काल तक विस्तृत समाज को मधुमय प्रीतिमय बनाने का इतिहास बताया और कहा कि वैदिक मधुज्ञान, मधुगान को सरल शब्दों में लिख श्री दीक्षित ने बड़ा काम किया है।
लेखक हृदयनारायण दीक्षित ने बताया कि वैदिक समाज मधुप्रेमी था। मधुप्रिय था। मधुवाणी बोलता था। भारत मधुमय था। लेकिन आधुनिक समाज मधुहीन सुगर फ्री हो रहा है। समाज में प्रीति प्रेम और मधुमय एकात्मकता नहीं है। वैदिक ऋषि विश्व को मधुमय बनाने की हजारों गतिविधियां बता गए हैं। इसी का नाम मधुविद्या है और यह नाम ऋग्वेद में आया है। पुस्तक में दैनिक जीवन से जुड़े, विवाह, काम-सेक्स, राजनीति, पर्यावरण, समाज संगठन आदि विषयों पर 36 निबंध हैं। पुस्तक का उद्देश्य समाज को रागद्वैषविहीन मधुमय बनाना है।
कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रधर्म प्रकाशन के प्रबंधक पवन पुत्र बादल ने किया। प्रकाशन वी0एल0 मीडिया सोल्यूशन्स नई दिल्ली के प्रोपराइटर नित्यानंद ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर सदस्य विधान परिषद डाॅ0 महेन्द्र सिंह, रामू द्विवेदी, पूर्व सांसद सत्यदेव सिंह, भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन राकेश जैन, दयाशंकर सिंह, विजय पाठक, राजेन्द्र तिवारी, दिलीप श्रीवास्तव, मनीष दीक्षित, बार काउंसिल आॅफ यू0पी0 के सदस्य अखिलेश अवस्थी एडवोकेट, समाजसेवी जयपाल सिंह, रामप्रताप सिंह एडवोकेट, रामप्रताप सिंह चैहान एडवोकेट, प्रेमशंकर बाजपेयी एडवोकेट, अतुलेश सिंह एडवोकेट, प्रेमशंकर त्रिवेदी एडवोकेट, डाॅ0 उदयवीर सिंह एडवोकेट, सौरभ लवानिया एडवोकेट, संदीप दुबे आदि मौजूद थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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गीता के सभी श्लोकांे की सुसंगत व्याख्या

Posted on 23 August 2012 by admin

5प्रख्यात चिंतक, विचारक, साहित्यकार हृदयनारायण दीक्षित द्वारा लिखित एवं लोकहित प्रकाशन, लखनऊ द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘भगवद्गीता’ (गीता के सभी श्लोकांे की सुसंगत व्याख्या) का विमोचन आज उ0प्र0 हिन्दी संस्थान के प्रेमचन्द्र सभागार में मध्य प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा एवं जनसम्पर्क मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा द्वारा किया गया। विमोचन समारोह में बोलते हुए लक्ष्मीकांत शर्मा ने कहा कि श्री दीक्षित ने गीता के सभी श्लोकों की सरल एवं आधुनिक व्याख्या की है। उन्होंने इस पुस्तक में प्रत्येक श्लोक को ऋग्वेद काल से लेकर उत्तर वैदिक काल तक होते हुए आधुनिक संदर्भो तक समझाने का काम किया है। पुस्तक बहुत अच्छी है। मध्य प्रदेश में भी यह पुस्तक आम जन तक पहुंचे इसका म0प्र0 सरकार प्रयास करेगी।
श्री शर्मा ने कहा कि विगत वर्ष मध्य प्रदेश सरकार ने श्री दीक्षित को उत्कृष्ट लेखन के लिए गणेश शंकर विद्यार्थी राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार से सम्मानित किया था। श्री दीक्षित सुप्रतिष्ठित स्तम्भकार हैं। वे भारतीय दृष्टिकोण वाले प्रख्यात आलोचक लेखक हैं। उन्होंने कई विवेचनशील ग्रन्थ लिखे हैं। श्री दीक्षित ने गीता के सभी श्लोकों का क्रमबद्ध विवेचन किया है। युवाओं के लिए यह पुस्तक बहुत उपयोगी है। उन्होंने कहा कि हिन्दी के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश का विशेष योगदान रहा है लेकिन मध्य प्रदेश भी पीछे नहीं है। मध्य प्रदेश सरकार विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन करने वाली है।
समारोह के मुख्य वक्ता अखिल भारतीय साहित्य परिषद राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराड़कर ने कहा कि गीता कत्र्तव्य, नीति अनीति का बोध कराने वाला व्यवहारिक ग्रन्थ है। हजारों वर्ष प्राचीन ज्ञान की यह अमृतधारा आधुनिक मानव के लिए बहुत उपयोगी है। गीता के पूर्व भाष्यों, अनुवादों के दृष्टिकोण को श्री दीक्षित ने इस पुस्तक में उद्धृत किया है। इस पुस्तक में भारतीय संस्कृति, दर्शन और वैज्ञानिक विवेक की धारा है।
लेखक हृदयनारायण दीक्षित ने कहा कि भगवद्गीता अंतर्राष्ट्रीय ज्ञान ग्रंथ है। मूल गीता प्रवाहमान ललित संस्कृत काव्य और गीत है। उन्हांेंने कहा कि गीता के अधिकांश अनुवादकों और भाष्यकारों ने ऐतिहासिक परिश्रम किये हैं। गीता लोकप्रिय ग्रन्थ है। यह पुस्तक गीता को समझने का एक विनम्र प्रयास है। यहां कोई मौलिकता भी नहीं है। इसमें ऋग्वेद से लेकर आधुनिक काल को एक अखण्ड सांस्कृतिक इकाई के रूप में देखा गया है। यहां गीता को आधुनिक संदर्भ में समझने का प्रयास किया गया है।
कार्यक्रम को विशिष्ट अतिथि पूर्व मंत्री रविन्द्र शुक्ल, डाॅ0 राम नरेश यादव, आनंद मोहन चैधरी ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता लखनऊ विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो0 ओम प्रकाश पाण्डेय ने एवं कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रधर्म प्रकाशन के प्रबंधक पवन पुत्र बादल ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से सदस्य विधान परिषद विनोद पाण्डेय, प्रतिष्ठित अधिवक्ता जयकृष्ण सिन्हा, वरिष्ठ समाजसेवी जयपाल सिंह, लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष दयाशंकर सिंह, भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन राकेश जैन, प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक, मीडिया प्रभारी नरेन्द्र सिंह राणा, हरीश श्रीवास्तव, सहमीडिया प्रभारी दिलीप श्रीवास्तव, मनीष दीक्षित, मुख्यालय प्रभारी भारत दीक्षित, सहमुख्यालय प्रभारी चै0 लक्ष्मण सिंह, भाजपा नेता वीरेन्द्र तिवारी, दिनेश दुबे, गिरजा शंकर गुप्ता, रामप्रताप सिंह एडवोकेट, गोपाल कृष्ण पाठक एडवोकेट, राजेश वर्मा एडवोकेट, आर0सी0 सिंह, प्रशांत सिंह, प्रेम शंकर त्रिवेदी, सुनील मोहन, संदीप दुबे सहित भारी संख्या में समाजसेवी, अधिवक्ता, चिकित्सकगण उपस्थित रहे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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डिस्कवरी किड्स के साथ बच्चों की एक अनोखी दुनिया का जायज़ा लेने के लिए हो जाइये तैयार

Posted on 08 August 2012 by admin

हिन्दी, अंग्रेज़ी और तमिल में 24 घंटे उपलब्ध

dsc_3527डिस्कवरी नैटवक्र्स एशिया-पैसिफि़क, बाल टेलीविजन श्रेणी में डिस्कवरी किड्स के जरिये भारत के 37 करोड़ बच्चों के लिए अपनी नई और अनोखी प्रस्तुति ला रहा है। डिस्कवरी इंडिया पोर्टफोलियो में ये आठवां चैनल है और यह 4 से 11 आयु वर्ग के बच्चों के लिए एक मजेदार, ज्ञानवर्द्धक और परिवर्तनकारी अनुभव उपलब्ध कराने का वादा करता है। डिस्कवरी किड्स हिन्दी, अंग्रेज़ी और तमिल में 24 घंटे उपलब्ध रहेगा।
इस चैनल का लक्ष्य है बच्चों की कल्पनाशीलता को जागृत करना। इस चैनल पर कई तरह के कार्यक्रम दिखाए जाएंगे, इनमें बेहद मशहूर अन्तर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों से लेकर भारतीय विषय-वस्तु वाली अनेक श्रृंखलाएं भी होंगी। चैनल, टी वी देखने से जुड़ा एक ऐसा अनुभव मुहैया कराएगा, जिसमें सब कुछ शामिल होगा और ये भारतीय बच्चों की विविध मांगों को पूरा करेगा। इन कार्यक्रमों में उच्चतम गुणवत्ता वाला एनिमेशन और विविध श्रेणियों में आकर्षक लाइव एक्शन श्रृंखलाएं शामिल होंगी, ये श्रेणियां हैंः एडवैंचर, पुराणशास्त्र, प्रकृति, इतिहास और विज्ञान।
राहुल जौहरी, सीनियर वाइस प्रैजि़डैंट और जनरल मैनेजर - दक्षिण एशिया, डिस्कवरी नैटवक्र्स एशिया-पैसिफि़क ने कहा, img_9115‘‘डिस्कवरी किड्स भारतीय बच्चों को अपनी प्राकृतिक उत्सुकता शांत करने का एक मनोरंजक तरीका उपलब्ध कराएगा और ये चैनल वादा करता है कि रोमांचक कार्यक्रमों के जरिये ये उनकी कल्पनाशीलता को जागृत करेगा। ये उनकी सामाजिक, समझ संबंधी, भावनात्मक और व्यक्तिगत महारतों के विकास के लिए पृष्ठभूमि मुहैया कराएगा। ये चैनल भारत में बच्चों के लिए मनोरंजन की एक लहर की शुरूआत करेगा - ये मनोरंजन उन्हें व्यस्त रखेगा और उनके माता-पिता को संतुष्ट’’।
ये चैनल सुबह, दोपहर और शाम को अलग-अलग तरह के कार्यक्रम दिखाएगा। इनमें ऐसे बच्चों के लिए भी कार्यक्रम है जो अभी स्कूल नहीं जाते, और उनके लिए भी जो किशोर उम्र के हैं। ऐसे कार्यक्रमों की कमी रही है जिनमें मनोरंजन और ज्ञान का मेल हो, इस कमी को पूरा करने के लिए डिस्कवरी किड्स एनैलाॅग और डी टी एच, दोनों ही प्लैटफाॅर्मों पर उपलब्ध रहेगा, इनमें डिश टी वी और वीडियोकाॅन डी टू एच शामिल है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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एक खोज:भारत की

Posted on 11 January 2012 by admin

10स्वतंत्रता आन्दोलन १८५७-१९४७ के शहीदों के जीवित गुमनाम वंशजों की दास्ताँ,

“आन्दोलन:एक पुस्तक से” एक मुहीम है. प्रत्येक वर्ष एक पुस्तक के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम (१८५७-१९४७) में अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों के जीवित गुमनाम वंशजों को ढूंढ़कर उन्हें एक नई जिन्दगी देने का अनवरत प्रयास है. अबतक तीन वंशजों - तात्या टोपे के प्रपौत्र, बहादुर शाह ज़फ़र की पौत्रबधू और उधम सिंह के पौत्र - को नया जीवन देने में सफल रहा है. यह फिल्म उसी श्रृंखला की एक कड़ी है.

यह फिल्म मूलरूप से शहीदों और उनके वंशजों के प्रति सरकार और विशेषकर स्वतंत्र भारत के आवाम की अनवरत उदासीनता और उपेक्षा की भावना को उजागर करने की एक कोशिश है, साथ ही, भारत के पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय के. आर. नारायणन की बात को लोगों तक पहुँचाने का एक प्रयास भी. पूर्व राष्ट्रपति ने कहा था कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद शहीदों और उनके वंशजों को जो “यथोचित” सम्मान मिलना चाहिए था, वह नहीं मिल पाया. नारायणन स्वतंत्रता आन्दोलन के सभी शहीदों के परिवारों को “राष्ट्रीय परिवार” का दर्जा दिलाना चाहते थे, साथ ही, उनकी यह भी इक्षा थी कि स्वतंत्रता आन्दोलन के शहीदों और अंडमान जेल (कालापानी) की सजा भुगते क्रांतिकारियों के वंशजों को भी राज्य सभा में स्थान सम्मानित किया जाय. दुर्भाग्यवश, उनकी ये सभी इक्षाएं उनकी मृत्यु के साथ ही दफ़न हों गयी.

इस फिल्म को महज एक नवमी कक्षा का १४ साल का बालक आकाश झा ने बनाया है ताकि इतिहास के पन्नों पर शहीदों की गाथाएं धूमिल ना हों और बच्चे अपने पिता से पूछे की आजादी हमें कैसे मिली? किन-किन लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी? हमें उन्हें सम्मान देनी चाहिए नहीं तो भारत की स्वतंत्रता अधूरी मानी जाएगी .

(आप चाहें तो इस प्रयास का डी.वी.डी सिर्फ लागत मूल्य (@ २००/- रुपये) पर अपने बच्चों को भेंट कर सकते है ताकि वह जन सके उधम सिंह, राजगुरु, तात्याटोपे, बटुकेश्वर दत्त, हरिदामोदर चापेकर, सत्येन्द्रनाथ बोस, सुखदेव, खुदीराम बोस कौन थे और आज उनके वंशज जीवित हैं तो कहाँ हैं?

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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डाॅबर आँवला ने ‘असली आँवला स्टार की खोज लखनऊ से शुरू की

Posted on 07 January 2012 by admin

विजेता को ब्रांड एंबैस्डर रानी मुखर्जी के साथ एक विज्ञापन अभियान में मौका मिलेगा

डाॅबर के ‘असली आँवला स्टार’ की खोज शुरू हो गई है! लखनऊ से सैकड़ों लड़कियां आज फिनीक्स माल में डाॅबर आँवला के ताज को पाने के लिए एकत्रित हुईं हैं - शहर में सबसे अच्छे बालों को खोजने की यह एक अनोखी प्रतियोगिता है।
मिस  शंमा  सिददीकी                       को लखनऊ में शाम को हुए फाइनल में विजेता घोषित किया गया। अब विजेता को बाॅलीवुड सेलिब्रिटी व डाॅबर आँमला ब्रांड एम्बैस्डर रानी मुर्खजी के साथ एक विज्ञापन अभियान में विशेष रूप से प्रदर्शित किया जाएगा।
इस प्रतियोगिता की शुरूआत लखनऊ में तीन दिन पहले हो गई थी जिसमें डाॅबल आँवला की टीम लखनऊ के कई काॅलेजों में प्रतियोगिता को बढ़ावा देने के लिए छात्राओं के बीच गई। टीम शहर के कई हाॅट स्पाॅट और बाजारों में इस प्रतियोगिता के बारे में जानकारी का प्रसार करने के लिए दौरा किया। कुल मिलाकर लखनऊ से 1000 से ज्यादा लड़कियों ने इस प्रतियोगिता में भाग लिया और इसे हाल के दिनों में लखनऊ के कुछ बड़े स्टाॅर हंट में से एक बना दिया।
प्रतियोगिता का फाइनल लखनऊ के फिनिक्स माल में हुआ जहां पर 12 बजे के बाद से सैंकड़ों प्रतियोगी एकत्रित हुए। बाल विशेषज्ञ ने उन्हें बालों की लंबाई, मजबूती व सुंदरता के आधार पर जज किया और 12 लड़कियों को आज 5 बजे के फाइनल राउण्ड के लिए चुना गया। लखनऊ के विख्यात ब्यूटी विशेषज्ञ और इनोवेटिव क्योर हेल्थ एण्ड ब्यूटी इंस्टीट्यूट की मालिक मिस अनुराधा गुप्ता व रेडियो मिर्ची के लोकप्रिय आरजे                      12 प्रतियोगियों में से विजेता का चुनाव करेेंगें।
लखनऊ में आज के फाइनल में डाॅबर असली आँवला स्टाॅर की खोज अभियान को भी चिन्हित किया। इस अभियान के तहत डाॅबर आँवलां की टीम प्रत्येक शहर की सबसे सुंदर बालों वाली लड़की की खोज करेगी और उसे डाॅबर असली आँवला स्टार के ताज से नवाजा जाएगा। टीम 13 शहरों में जाएगी जिसमें से 6 शहर - लखनऊ, नोएडा, गोरखपुर, कानपुर, वाराणसी व इलाहाबाद यूपी के है।
इस अवसर पर बोलते हुए डाॅबर आँवला, डाॅबर इंडिया लिमिटेड के उत्पाद प्रबंधक श्री नियोजिता यादव ने कहा कि, ‘‘डाॅबर आँवला हेयर आॅयल को लखनऊ में इस प्रतियोगिता की मेजबानी करके गर्व महसूस हो रहा है। लखनऊ की सभी लड़कियों में इस तरह का जोश देखकर हम बेहद उत्साहित हैं। इस प्रतियोगिता के पीछे का विचार लखनऊ की महिलाओं को डाॅबर आँवला हेयर आॅयल के लबंे, मजबूत व सुंदर बालों के वादे का अनुभव कराना और साथ ही लड़कियों को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी खूबसूरती दिखाने का मंच प्रदान करना रहा है।
प्रतिष्ठित ताज जीतकर उत्साहित लखनऊ की विजेता ने कहा कि, ‘‘वास्तव में लखनऊ का डाॅबर असली आँवला स्टार घोषित होना बेहद आकर्षक है। इस ताज को जीतना व अपनी पसंदीदा सिने स्टार रानी मुखर्जी के साथ एक विज्ञापन अभियान में आना मेरे लिए सपना सच होने जैसा है। मैं बचपन से ही नियमित रूप से डाॅबर आँवला हेयर आॅयल का प्रयोग कर कर रही हूँ और मैं इसका शुक्रिया अदा करती हूँ जिससे मेरे बाल सुंदर व मजबूत बने और मुझे इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता को जीतने में सहायता की।’’

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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भारतीयम में बाल नर्तकों ने रंग जमाया

Posted on 30 April 2011 by admin

जापानी नृत्यांगना का हुआ सम्मान

लखनऊ - भारतीयम डांस एकेडमी में विश्व नृत्य दिवस पर गोमती नगर विनय खण्ड चार भवन संख्या एम 76 में डांस शो हुआ। इस अवसर पर भारतीय शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्यम और कथक सीखने वाली जापान मूल की नृत्यांगना हीरोको फूजीवारा का सम्मान भारतीयम की कला निदेशिका शुभ्रा अस्थाना ने किया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम में मेहल सोनी ने केन वी टुइस्ट, पूर्वी भाव्या आनंद ने लेफट लेग आगे, सिमरन चावला ने धन्नो, श्रेया बाजपेई, श्रेया मिश्रा, विभूति साहू, विधि बाजपेई ने डिस्को वाले खिसको, ईशा श्रीवास्तव ने मुन्नी, पल्लवी गुप्ता ने शीला, प्रेरणा बोरा व श्वेता सिंह ने एवी व नफीसा व तृप्ती नेगी ने छान के मोहल्ले पर बेहतरीन नृत्य किया।
नृत्य अध्यापिका रत्ना अस्थाना के अनुसार फिल्मी नृत्य सीखने वालों में बच्चों के साथ-साथ बड़ी संख्या विवाहित महिलाओं की है। जून माह में संस्थान संस्कार गीतों की निःशुल्क कार्यशाला आयोजित करेगा। इसके अलावा वेस्टर्ड डांस में सालसा, कंटमपरी, हिप हाप का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। स्वास्थ्य के प्रति सचेत लोगों में भी नृत्य के प्रति रुझान बढ़ा है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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डा. कपिल को मिला शिक्षा रत्न पुरस्कार

Posted on 11 March 2010 by admin

चित्रकूट - प्रोफेसर डा. कपिल देव मिश्रा को शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान प्रदान करने के लिए इण्डिया इंटरनेशनल फे्रण्डशिप सोसायटी नई दिल्ली ने शिक्षा रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया। उनकी इस उपलब्धि पर विवि परिवार ने बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है।

जगद्गुरु राम भद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान विभाग के अधिष्ठाता डा. मिश्रा इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व के प्रोफेसर पद पर कार्य कर रहे हैं। अपनी शिक्षा की प्रथम पायदान हाई स्कूल से अन्तिम सीढ़ी तक उन्होंने सभी परीक्षाएं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। इसके बाद इलाहाबाद विश्वविद्यलाय से पी.एच.डी की उपाधि हासिल की। प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व के क्षेत्रा में विशेष योगदान पर इन्हें डीलिट की मानद उपाधि भी मिल चुकी है। शिक्षण कार्य करते हुए डा. मिश्रा ने कई राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय संगोिष्ठयों में अपने शोध पत्रा भी प्रस्तुत किए है। इसके अलावा इनकी कई पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं। डा. मिश्रा महात्मा गांधी चित्राकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कई महत्वपूर्ण पदों पर भी काम कर चुके हैं। डा. मिश्रा जेआरएच विवि में प्रतिकुलपति, परीक्षा नियन्त्रक, अधिष्ठाता, कुलानुशासक आदि पदों की भी शोभा बढ़ा चुके हैं। इनकी की कार्यकुशलता व अनुभवशीलता देखते हुए भोज विश्वविद्यालय भोपाल ने निदेशक-प्रवेश एवं मूल्यांकन नियुक्त किया। साथ ही निदेशक-मुद्रण एवं वितरण आदि का भी दायित्व सौंपा है। उनकी इस उपलब्धि पर विश्वविद्यालय परिवार सहित उनके परिचितों और पारिवारिकों ने बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है।

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राष्ट्रीय संस्थानों को कामकाजी स्वायत्तता देगा केंद्र-प्रधानमंत्री

Posted on 16 January 2010 by admin

कोलकाता-मौलाना अबुल कलाम आजाद इंस्टीट्यूट फॉर एशियन स्टडीज के नए परिसर के उद्घाटन और साइंस सिटी के दूसरे चरण की आधारशिला रखने के समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने  कहा कि केंद्र राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों को प्रभावी तौर पर संचालित करने के लिए ऐसे संस्थानों को कामकाजी स्वायत्तता और लचीलापन प्रदान करने पर विचार कर रहा है। प्रधानमंत्री ने ऐसे निकायों के कार्यकारी प्रमुखों की नियुक्ति के दौरान नियमों को उदार किए जाने का भी पक्ष लिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण जैसे राष्ट्रीय संस्थानों को प्रभावी तौर पर चलाने के लिए कामकाजी स्वायत्तता और लचीलेपन की जरूरत है। हम इन पहलुओं की ओर ध्यान दे रहे हैं और जब हमारी सांस्कृतिक विरासत को बचाने की बात आएगी तो कोष कभी बाधा नहीं बनेगा।

सिंह ने कहा कि संस्कृति मंत्रालय की पहली प्राथमिकता देश के सांस्कृतिक संसाधनों और संस्थानों के प्रबंधन में पेशेवर रुख सुनिश्चित करना है।

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