Archive | सिनेमा

एक खोज:भारत की

Posted on 11 January 2012 by admin

10स्वतंत्रता आन्दोलन १८५७-१९४७ के शहीदों के जीवित गुमनाम वंशजों की दास्ताँ,

“आन्दोलन:एक पुस्तक से” एक मुहीम है. प्रत्येक वर्ष एक पुस्तक के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम (१८५७-१९४७) में अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों के जीवित गुमनाम वंशजों को ढूंढ़कर उन्हें एक नई जिन्दगी देने का अनवरत प्रयास है. अबतक तीन वंशजों - तात्या टोपे के प्रपौत्र, बहादुर शाह ज़फ़र की पौत्रबधू और उधम सिंह के पौत्र - को नया जीवन देने में सफल रहा है. यह फिल्म उसी श्रृंखला की एक कड़ी है.

यह फिल्म मूलरूप से शहीदों और उनके वंशजों के प्रति सरकार और विशेषकर स्वतंत्र भारत के आवाम की अनवरत उदासीनता और उपेक्षा की भावना को उजागर करने की एक कोशिश है, साथ ही, भारत के पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय के. आर. नारायणन की बात को लोगों तक पहुँचाने का एक प्रयास भी. पूर्व राष्ट्रपति ने कहा था कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद शहीदों और उनके वंशजों को जो “यथोचित” सम्मान मिलना चाहिए था, वह नहीं मिल पाया. नारायणन स्वतंत्रता आन्दोलन के सभी शहीदों के परिवारों को “राष्ट्रीय परिवार” का दर्जा दिलाना चाहते थे, साथ ही, उनकी यह भी इक्षा थी कि स्वतंत्रता आन्दोलन के शहीदों और अंडमान जेल (कालापानी) की सजा भुगते क्रांतिकारियों के वंशजों को भी राज्य सभा में स्थान सम्मानित किया जाय. दुर्भाग्यवश, उनकी ये सभी इक्षाएं उनकी मृत्यु के साथ ही दफ़न हों गयी.

इस फिल्म को महज एक नवमी कक्षा का १४ साल का बालक आकाश झा ने बनाया है ताकि इतिहास के पन्नों पर शहीदों की गाथाएं धूमिल ना हों और बच्चे अपने पिता से पूछे की आजादी हमें कैसे मिली? किन-किन लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी? हमें उन्हें सम्मान देनी चाहिए नहीं तो भारत की स्वतंत्रता अधूरी मानी जाएगी .

(आप चाहें तो इस प्रयास का डी.वी.डी सिर्फ लागत मूल्य (@ २००/- रुपये) पर अपने बच्चों को भेंट कर सकते है ताकि वह जन सके उधम सिंह, राजगुरु, तात्याटोपे, बटुकेश्वर दत्त, हरिदामोदर चापेकर, सत्येन्द्रनाथ बोस, सुखदेव, खुदीराम बोस कौन थे और आज उनके वंशज जीवित हैं तो कहाँ हैं?

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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डाॅबर आँवला ने ‘असली आँवला स्टार की खोज लखनऊ से शुरू की

Posted on 07 January 2012 by admin

विजेता को ब्रांड एंबैस्डर रानी मुखर्जी के साथ एक विज्ञापन अभियान में मौका मिलेगा

डाॅबर के ‘असली आँवला स्टार’ की खोज शुरू हो गई है! लखनऊ से सैकड़ों लड़कियां आज फिनीक्स माल में डाॅबर आँवला के ताज को पाने के लिए एकत्रित हुईं हैं - शहर में सबसे अच्छे बालों को खोजने की यह एक अनोखी प्रतियोगिता है।
मिस  शंमा  सिददीकी                       को लखनऊ में शाम को हुए फाइनल में विजेता घोषित किया गया। अब विजेता को बाॅलीवुड सेलिब्रिटी व डाॅबर आँमला ब्रांड एम्बैस्डर रानी मुर्खजी के साथ एक विज्ञापन अभियान में विशेष रूप से प्रदर्शित किया जाएगा।
इस प्रतियोगिता की शुरूआत लखनऊ में तीन दिन पहले हो गई थी जिसमें डाॅबल आँवला की टीम लखनऊ के कई काॅलेजों में प्रतियोगिता को बढ़ावा देने के लिए छात्राओं के बीच गई। टीम शहर के कई हाॅट स्पाॅट और बाजारों में इस प्रतियोगिता के बारे में जानकारी का प्रसार करने के लिए दौरा किया। कुल मिलाकर लखनऊ से 1000 से ज्यादा लड़कियों ने इस प्रतियोगिता में भाग लिया और इसे हाल के दिनों में लखनऊ के कुछ बड़े स्टाॅर हंट में से एक बना दिया।
प्रतियोगिता का फाइनल लखनऊ के फिनिक्स माल में हुआ जहां पर 12 बजे के बाद से सैंकड़ों प्रतियोगी एकत्रित हुए। बाल विशेषज्ञ ने उन्हें बालों की लंबाई, मजबूती व सुंदरता के आधार पर जज किया और 12 लड़कियों को आज 5 बजे के फाइनल राउण्ड के लिए चुना गया। लखनऊ के विख्यात ब्यूटी विशेषज्ञ और इनोवेटिव क्योर हेल्थ एण्ड ब्यूटी इंस्टीट्यूट की मालिक मिस अनुराधा गुप्ता व रेडियो मिर्ची के लोकप्रिय आरजे                      12 प्रतियोगियों में से विजेता का चुनाव करेेंगें।
लखनऊ में आज के फाइनल में डाॅबर असली आँवला स्टाॅर की खोज अभियान को भी चिन्हित किया। इस अभियान के तहत डाॅबर आँवलां की टीम प्रत्येक शहर की सबसे सुंदर बालों वाली लड़की की खोज करेगी और उसे डाॅबर असली आँवला स्टार के ताज से नवाजा जाएगा। टीम 13 शहरों में जाएगी जिसमें से 6 शहर - लखनऊ, नोएडा, गोरखपुर, कानपुर, वाराणसी व इलाहाबाद यूपी के है।
इस अवसर पर बोलते हुए डाॅबर आँवला, डाॅबर इंडिया लिमिटेड के उत्पाद प्रबंधक श्री नियोजिता यादव ने कहा कि, ‘‘डाॅबर आँवला हेयर आॅयल को लखनऊ में इस प्रतियोगिता की मेजबानी करके गर्व महसूस हो रहा है। लखनऊ की सभी लड़कियों में इस तरह का जोश देखकर हम बेहद उत्साहित हैं। इस प्रतियोगिता के पीछे का विचार लखनऊ की महिलाओं को डाॅबर आँवला हेयर आॅयल के लबंे, मजबूत व सुंदर बालों के वादे का अनुभव कराना और साथ ही लड़कियों को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी खूबसूरती दिखाने का मंच प्रदान करना रहा है।
प्रतिष्ठित ताज जीतकर उत्साहित लखनऊ की विजेता ने कहा कि, ‘‘वास्तव में लखनऊ का डाॅबर असली आँवला स्टार घोषित होना बेहद आकर्षक है। इस ताज को जीतना व अपनी पसंदीदा सिने स्टार रानी मुखर्जी के साथ एक विज्ञापन अभियान में आना मेरे लिए सपना सच होने जैसा है। मैं बचपन से ही नियमित रूप से डाॅबर आँवला हेयर आॅयल का प्रयोग कर कर रही हूँ और मैं इसका शुक्रिया अदा करती हूँ जिससे मेरे बाल सुंदर व मजबूत बने और मुझे इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता को जीतने में सहायता की।’’

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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शाहरुख ने रोशन किए सात गांव

Posted on 16 September 2009 by admin

भुवनेश्वर- यह शाहरुख अभिनीत फिल्म ‘स्वदेश’ की रील लाइफ कहानी से मेल खाती है, जिसमें एनआरआई बने किंग खान अपने बचपन में पालन-पोषण करने वाली आया के पुश्तैनी गांव में आकर एक पन बिजली परियोजना लगाते हैं। रियल लाइफ में शाहरुख ने उड़ीसा के तटवर्ती सात गांवों में इसे साकार किया है।

उन्होंने एक टेलीविजन चैनल की सौर ऊर्जा परियोजना को आर्थिक मदद उपलब्घ कराते हुए केंद्रपाड़ा जिले के सैकड़ों लोगों की जिंदगी रोशन कर दी है। आजादी के 61 साल बाद भी सात गांव बिजली से महरूम थे। लगभग 500 की आबादी वाले प्रत्येक गांव में लोग गरीबी की रेखा से नीचे गुजर-बसर कर रहे हैं। मछली पकड़ने और खेती के जरिए पेट पालने वाले ग्रामीणों के लिए किंग खान का दर्जा किसी भगवान से कम नहीं है।

‘ग्रीनेथॉन’ नामक संगठन की पहल पर ‘लाइट ए बिलियन लाइव्स’ नाम की इस परियोजना के जरिए ‘द एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट’ ने गांव में सौर ऊर्जा लैंप लगाए हैं। परियोजना के समन्वयक बिरज प्रसाद पति बताते हैं, ‘पहले ग्रामीण लालटेन की रोशनी में काम चलाते थे। अब उनके पास अधिक चमकदार सोलर लालटेन है।’

इन लालटेनों को चार्ज करने के लिए उन्हें सिर्फ तीन रुपए देने पड़ते हैं। गांव में एक चार्जिग स्टेशन भी बनवाया गया है। इन सबके बीच सबसे दिलचस्प बात यह है कि उड़ीसा सरकार को न तो परियोजना की जानकारी है और न ही शाहरुख के योगदान का पता है।

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जया के हाथ खाना दुनिया में सबसे लजीज

Posted on 26 May 2009 by admin

नई दिल्ली। फिल्म चीनी कम में पाक कला के सिद्धहस्त एवं एक रेस्तरां के मालिक की भूमिका निभा चुके मेगास्टार अमिताभ बच्चन मानते हैं कि जब आप लंबे समय तक बाहर रहने के बाद घर लौटते हैं तो ऐसा लगता है कि पत्नी के हाथ का बना खाना दुनिया में सबसे अच्छा है।

ब्लाग में अमिताभ ने लिखा है कि लंबे समय तक बाहर रहने के बाद घर आने पर जया का पकाया हुआ खाना दुनिया का सबसे लजीज खाना लगता है। इसका कारण है कि यह भोजन आपको लंबे समय तक इससे वंचित रहने के बाद मिलता है। अमिताभ ने यह प्रतिक्रिया फिल्म तीन पत्ती की शूटिंग के अंतिम चरण के लिए ब्रिटेन और फ्रांस का दौरा करने के बाद स्वदेश वापसी पर दी।

बिग बी पहले भी यह जाहिर कर चुके हैं कि दिन को शूटिंग में व्यस्त रहने के बाद रात का भोजन उन्हें अपने परिवार के साथ लेना अच्छा लगता है।

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खेल गांव की सभी योजनाएं मार्च तक होगी पूरी

Posted on 20 May 2009 by admin

नई दिल्ली- राष्ट्रमंडल खेल समिति के चेयरमैन सुरेश कलमाड़ी खेलगांव जा धमके और कहा कि यूपीए सरकार के पुन: आ जाने से अब और बेहतर तरीके से राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन हो सकेगा। उन्होंने कहा कि खेल गांव के निर्माण से जुड़ी योजनाओं को लेकर कोई अड़चन नहीं है और न ही यहां बन रहे फ्लैटों को लेकर कोई दिक्कत है। खेल गांव से संबंधित लगभग सभी योजनाएं मार्च 2010 तक पूरी कर ली जाएंगी। उधर खेल गांव निर्माण स्थल पर पहुंचे मीडिया को फ्लैट निर्माणकर्ता कंपनी ईएमएएआर एमजीएफ कंपनी ने अपने सैंपल फ्लैटों को दिखाकर यह बताने का प्रयास किया कि उनके फ्लैट 2 से लेकर 5 करोड़ की कीमत के क्यों हैं?

पत्रकारों के संबोधन के दौरान कलमाड़ी ने खेल गांव में बनाए जा रहे 3 हजार फ्लैटों को लेकर भी लंबी बात की। उन्होंने कहा कि यहां बनाए जा रहे फ्लैट विश्व स्तर के होंगे। अब खेल गांव के आयोजन के लिए मात्र 5 सौ दिन बचे हैं और इसकी योजनाओं को लेकर एक-एक दिन महत्वपूर्ण है। यहां के इन 3 हजार फ्लैटों के अलावा बाहर से आने वाले अतिथियों के लिए आईटीडीसी फ्लैट व दिल्ली सरकार लोगों को रहने की सुविधा उपलब्ध कराएगी। गत दिनों कंपनी के बन रहे इन फ्लैटों के लिए धनराशि उपलब्ध कराने को लेकर योजना की साख पर असर पड़ा है। जिसके चलते कंपनी के अधिकारियों ने मीडिया को सैंपल फ्लैट दिखाकर फ्लैटों की खूबियों को बताने का प्रयास किया। कंपनी की ओर से खेल गांव निर्माण के प्रोजक्ट मैनेजर मेजर जनरल ए.के.सिंह, ब्रिगेडियर पी.एस.पुरी ने बताया कि रिहायशी क्षेत्र 30 टावरों में बनाया जाएगा। जिसमें अक्षरधाम मंदिर की ओर के टावरों की ऊंचाई यमुना बेल्ट की ओर से काफी कम रखी गई है। मंदिर की ओर के फ्लैटों का रंग भी मंदिर के रंग की तरह रखा जाएगा।

लगाए जाएंगे 25 हजार स्वयंसेवक : राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान व्यवस्था में सहयोग करने के लिए 25 हजार स्वयंसेवक तैयार किए जाएंगे। इनका चयन जुलाई तक शुरू कर दिया जाएगा। इसके बाद इन्हें प्रशिक्षण देने का कार्य शुरू होगा।

खेलों के दौरान बेहतर होगी सुरक्षा : राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति 2010 का कहना है कि खेलों के आयोजन के दौरान सुरक्षा को लेकर कोई खतरा नहीं है। दिल्ली पुलिस पूरी तरह चुस्त-दुरुस्त है और खेलों की तैयारी को लेकर हर मोर्चे पर तैयार है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में बेहतर तरीके से सुरक्षा मुहैया हो सकेगी। पूछने पर समिति के चेयरमैन सुरेश कलमाड़ी ने कहा कि खेलों के दौरान किसी अन्य एजेंसी की जरूरत नहीं पड़ेगी। क्योंकि दिल्ली पुलिस के पास खुद बहुत बड़ी फोर्स है और पूरी व्यवस्था है। पुलिस इस जिम्मेदारी को निभाने में सक्षम है।

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फिल्मकार प्रकाश मेहरा नहीं रहे

Posted on 17 May 2009 by admin

मुंबई- फिल्म ‘जंजीर’ के जरिए अमिताभ बच्चन को पहली कामयाबी दिलाने वाले बालीवुड के ख्यात निर्माता-निर्देशक प्रकाश मेहरा का लंबी बीमारी के बाद सोमवार को यहां एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 69 वर्ष के थे।

अस्पताल के सूत्रों ने कहा कि मेहरा बीते कई दिन से भर्ती थे। उन्होंने सुबह सात बजकर 50 मिनट पर अंतिम सांस ली। वह निमोनिया से पीड़ित थे और उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। विडंबना यह रही कि बच्चन के मेहरा का हालचाल जानने के लिए अस्पताल जाने के बाद ही लोगों को उनकी खराब तबीयत के बारे में पता चला। बच्चन ने अपने ब्लाग में उनकी सेहत नासाज होने का उल्लेख किया था।

सत्तर के दशक की शुरुआत में ‘जंजीर’ से आगाज करने के बाद मेहरा और बच्चन की जोड़ी वाली सात में से छह फिल्में मेगा हिट रहीं। दोनों की आखिरी फिल्म ‘जादूगर’ थी। वर्ष 1989 में आई यह फिल्म चल नहीं सकी। निर्देशक मेहरा और अभिनेता बच्चन की साथ की हिट फिल्मों की सूची में ‘जंजीर’ के अलावा ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘लावारिस’, ‘नमक हलाल’, ‘शराबी’ और ‘हेराफेरी’ शामिल है।

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पशु कल्याण के लिए आगे आया बॉलीवुड

Posted on 09 May 2009 by admin

नई दिल्ली- बॉलीवुड की कई नामचीन हस्तियां इन दिनों जीव अधिकारों और पशुओं के कल्याण के लिए लोगों को जागरूक बनाने के लिए विभिन्न अभियानों में हिस्सा ले रही हैं। अभिनेता जॉन अब्राहम, सेलिना जेटली, शिल्पा शेट्टी और मलाइका अरोड़ा खान कुछ ऐस नाम हैं जो पशुओं के कल्याण संबंधी कार्यो में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही हैं।

दुनिया भर में जीव अधिकारों का अभियान चला रहे संगठन पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) की भारत प्रमुख अनुराधा स्वाहने ने कहा कि पशुओं के अधिकारों के लिए बॉलीवुड की नामचीन हस्तियां आगे आ चुकी हैं। अनुराधा ने कहा कि बॉलीवुड कलाकार अपने व्यस्त कार्यक्रमों के बीच भी जीव अधिकारों से संबंधी अभियानों में हिस्सा लेते हैं।

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पत्रकार बनना पसंद करूंगा

Posted on 07 May 2009 by admin

सदी के महानायक अमिताभ बच्चन का कहना है कि वे पत्रकार बनना पसंद करेंगे, हालाँकि उनको हमेशा से ही मीडिया का विरोधी माना गया है। अमिताभ अपनी आगामी फिल्म ‘रन’ ,जोकि भारतीय मीडिया के पहलुओं को दर्शाती है, के प्रमोशन के लिए राजधानी में थे। इस फिल्म में अमिताभ एक 24-घंटे न्यूज़ चैनल के मालिक कि भूमिका में है। “मैं पत्रकार बनना पसंद करूंगा. 1970 के दौरान मैंने जितने भी इंटरवियूज़ दिए उनमे कई बार मैंने ये इच्छा जताई कि मैं अगले जन्म में पत्रकार बनाना चाहता हूँ।

अमिताभ ने 2008 में अपना ब्लॉग भी शुरू किया और वो नियमित रूप से ऑनलाइन लेखन भी करते रहते हैं. हालाँकि वो खुद को इसके लिए पत्रकार नहीं मानते। अमिताभ ने कहा कि मीडिया का काम बहुत ही कठिन होता है और यह उन्होंने इस फिल्म में काम करते समय महसूस किया।

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शादी में शाहरुख का डांस

Posted on 02 May 2009 by admin

शाहरुख खान की टीम कोलकाता नाइट राइडर्स चाहे आईपीएल 2 में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर रही है पर किंग खान को इससे होने वाले नुकसान का मलाल नहीं है। अरे भाई शादी का सीजन चल रहा है और यह सबको पता है कि शाहरुख खान को शादी आदि में नाचकर पैसे कमाने से कोई परहेज नहीं है। पहले वह शादी या किसी अन्य समारोह में नाचकर 2-3 करोड़ कमा लेत थे पर अब उन्होंने अपनी कीमत बढ़ाकर 4 करोड़ तक कर दी है। इसके बावजूद लोग शाहरुख खान को बुक करने के लिए उतावले हैं।

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गायकों के बीच तुलना उचित नहीं- मन्ना डे

Posted on 01 May 2009 by admin

नई दिल्ली- हिन्दी फिल्मों के प्रसिद्ध पा‌र्श्वगायक मन्ना डे का मानना है कि समकालीन और वर्तमान गायकों के बीच तुलना करना कतई उचित नहीं हैं और हर पा‌र्श्वगायक अपने दौर का प्रतिनिधि होता है।

हिन्दी फिल्म संगीत के स्वर्णिम दौर के प्रमुख पा‌र्श्वगायक मन्ना डे ने कहा कि समकालीन अथवा दो अलग-अलग दौर के गायकों के बीच किसी भी प्रकार की तुलना करना कतई उचित नहीं है और इस तरह की कोशिश बेमकसद है ऐसा कभी नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर दौर का फिल्मी संगीत एवं पा‌र्श्वगायक अपने दौर के प्रतिनिधि होते है जिनको एक दूसरे से जोड़ना किसी भी सूरत में ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि मुकेश, रफी और किशोर लौटकर नहीं आ सकते और आज के दौर के पा‌र्श्वगायक, गायिकाएं और संगीतकार समसामयिक फिल्म संगीत के हिसाब से काम कर रहे हैं।। मन्ना डे के नाम से लोकप्रिय प्रबोधचंद्र डे का जन्म एक मई 1919 को कोलकाता में हुआ था। कुश्ती और मुक्केबाजी के शौकीन मन्ना दा ने संगीत की आरंभिक शिक्षा चाचा के सी डे उस्ताद दाबिर खां से ली। बाद में हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की तालीम उन्होंने उस्ताद अमान अली खां और उस्ताद अब्दुल रहमान खां से हासिल की।

रफी, मुकेश और किशोर से पहले मन्ना डे ने अपना पहला गाना 1943 में फिल्म तमन्ना के लिए सुरैया के साथ गाया था और इसी साल फिल्म रामराज्य के लिए एकल गीत रिकार्ड किया था। मन्ना दा ने अपना अंतिम फिल्मी गीत प्रहार के लिए गाया था। अपने पा‌र्श्वगायिकी के सफर में मन्ना डे ने विभिन्न भारतीय भाषाओं में साढे़ तीन हजार से अधिक गाने रिकार्ड किए। उन्होंने फिल्मी संगीत के स्वर्णिम दौर के लगभग सभी संगीतकारों के साथ काम किया लेकिन मन्ना दा के पसंदीदा संगीतकार राहुल देव बर्मन थे जिनके बारे में वह कहते हैं कि आर डी के काम करने का तरीका सभी संगीतकारों से एकदम अलग था।

एक बार मोहम्मद रफी ने मन्ना दा के बारे में संवाददाताओं से कहा था कि आप लोग मेरे गाने सुनते हैं और मैं केवल मन्ना डे को सुनता हूं। फिल्म संगीतकार शंकर बसंत बहार के लिए गाने रिकार्ड कर रहे थे और नायक पर फिल्माए जाने वाले युगल गीत केतकी गुलाब जूही.. के लिए मन्ना डे के साथ प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक भीमसेन जोशी को चुना। गाने की रिकार्डिंग के बाद पंडितजी ने कहा कि मन्ना दा आप एक बेहतरीन शास्त्रीय गायक बन सकते हैं।

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