नई दिल्ली-बुधवार सुबह होने वाले सूर्यग्रहण पर केवल जमीन से निगाहें नहीं टिकी होंगी, बल्कि आसमान से भी वैज्ञानिक इस नजारे को दर्ज करेगे। एक फाइटर जेट और एक ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट इस काम में मुस्तैद रहेंगे।
इंडियन एयरफोर्स के अनुसार एक मिराज-2000 फाइटर जेट और एएन-32 मीडियम लिफ्ट ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट को एयरफोर्स के पायलट उड़ाएंगे। इसमें साइंस ऐंड टेक्नॉलजी विभाग की स्वायत्त संस्था विज्ञान प्रसार के वैज्ञानिक भी सवार होंगे। ये वैज्ञानिक तमाम एक्सपेरिमेंट करेंगे। सूत्रों ने बताया, मिराज ग्वालियर से उड़ान भरेंगे, जबकि एएन-32 आगरा से। ये विमान खजुराहो की ओर बढ़ेंगे, इसी दौरान पूर्ण सूर्यग्रहण को फिल्माने और उससे जुड़े प्रयोगों का काम चलेगा।
ये वैज्ञानिक नोएडा स्थित विज्ञान प्रसार, उदयपुर बेस्ड सोलर ऑबजवेर्टरी और बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स से होंगे। अधिकारियों ने बताया, इन संस्थानों के चार साइंटिस्ट और दूरदर्शन के छह क्रू मेंबर इस उड़ान में होंगे। चूंकि ये बहुत ऊंचाई पर उड़ रहे होंगे इसलिए इन्हें फ्लाइट के दौरान ऑक्सिजन मास्क का इस्तेमाल करना होगा।
इस बार का सूर्यग्रहण देश के पश्चिम में गुजरात के खंभात की खाड़ी और पूर्व में अरुणाचल प्रदेश तक दिखाई देगा। ग्रहण का यह गलियारा ग्वालियर एयरबेस के पास से गुजरेगा। एयरफोर्स पायलट ने पिछली बार इसी तरह 24 अक्टूबर 1995 में भी सूर्यग्रहण का पीछा किया था। विज्ञान प्रसार के डायरेक्टर डॉ. विनय बी. कांबले इस पूरे प्रोग्राम को कोऑर्डिनेट कर रहे हैं।
2009 के ग्रहण का महत्व इसलिए है क्योंकि यह काफी लंबे समय के लिए होगा। इसके अलावा अगला ग्रहण 2034 में होगा, जोकि बहुत थोड़े समय के लिए कश्मीर घाटी के ऊपर दिखाई देगा। इसके बाद अगला पूर्ण सूर्यग्रहण 2114 में होगा।