Posted on 27 February 2010 by admin
चित्रकूट - प्रबुद्ध समाजसेवी और विचारक नानाजी देशमुख का शनिवार शाम सद्गुरू सेवासंघ अस्पताल में निधन हो गया। वह 94 वर्ष के थे। कुछ समय से बीमार चल रहे नानाजी को आज सुबह सीने में दर्द की शिकायत के बाद अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।
नानाजी देशमुख लंबे समय तक जनसंघ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे, लेकिन साढ़े चार दशक पूर्व उन्होंने खुद को राजनीति से अलग कर लिया और आदर्श समाज के निर्माण का बीड़ा उठाया। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के जीवनव्रती प्रचारक नानाजी का जन्म महाराष्ट्र में 11 अक्तूबर 1916 में हुआ था। नानाजी के सामाजिक कार्यो को देखते हुए वर्ष 1999 में राज्यसभा सदस्य बनाया गया। इसके पहले वर्ष 1977 में बलरामपुर से उन्हें लोकसभा के लिए चुना गया था। सामाजिक कार्यो विशेषकर चित्रकूट क्षेत्र में रेनवाटर हार्वे¨स्टग क्षेत्र में काम के लिए उन्हें पद्म विभूषण से नवाजा गया था। वह राज्य सभा के सदस्य रह चुके थे। आजीवन समाज सेवा का व्रत ले चुके नानाजी ने दीनदयाल शोध संस्थान की स्थापना करके उत्तर प्रदेश-मध्य प्रदेश सीमा के दोनो तरफ के क्षेत्रों में शिक्षा स्वास्थ्य और लोगों को आर्थिक दृष्टि से आत्म निर्भर बनाने के लिए सराहनीय काम किया और देश के प्रतिष्ठित अलंकरण पद्मविभूषण से अलंकृत किये गए थे। उन्होंने दोनो राज्यों के पांच सौ सीमावर्ती गांवों में शिक्षा के प्रचार -प्रसार और लोगों को आर्थिक रूप से आत्म निर्भर बनाने के लिए उल्लेखनीय काम किया है।
नानाजी ने 60 साल की उम्र पूरी होते ही राजनीति छोड़ दी थी क्योंकि उनका मानना था कि 60 साल की उम्र के बाद व्यक्ति को राजनीति छोड़ देनी चाहिए। इसके बाद वह नयी ऊर्जा के साथ रचनात्मक कार्य में लग गए थे।
Posted on 24 February 2010 by admin
इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च एण्ड डाक्यूमेंटेशन इन सोशल साइन्सेंस आई0आर0डी0एस0, लखनऊ के लोग महिला समाख्या की महिला अधिकारी के साथ गोमतीनगर स्थित कार्यालय में हुये दुव्र्यवहार तथा छेड़खानी जैसी घटिया हरकत का तीव्र विरोध तथा निन्दा करते हैं। साथ ही हम यह मांग भी करते हैं कि उक्त आरोपों के अभियुक्त मृदुल तिवारी के विरूद्ध विधि के अनुसार कठोरतम कार्यवाही की जाये। हम यह समझ पाने में असमर्थ हैं कि जब एक सम्मानित महिला अपनी सामाजिक प्रतिश्ठा के क्षरण होने के भय के बावजूद आगे बढ़ कर किसी सहकर्मी के खिलाफ आरोप लगा सकने की हिम्मत कर रही हैं तो फिर ऐसे मामले में भी कार्यवाही किये जाने में विलंब क्यों हो रहा है। साथ ही यह बात भी हमें दुखद लग रही है कि इन अभियुक्त को बचाने के प्रयास भी शुरू हो गये दिखाई देते हैं।
अत: हम आई0आर0डी0एस0 के कार्यकर्ता इस मामले में तत्काल न्याय करने तथा अभियुक्त के खिलाफ नियमानुसार कठोरतम कार्यवाही करने हेतु पुलिस से मांग करती है।
Posted on 24 February 2010 by admin
नई दिल्ली - लावण्य आयुर्वेदिक संस्थान के अध्यक्ष अशोक श्रीवास्तव ने स्वास्थ्य बजट में आयुष (आयुर्वेद, योग, यूनानी,सिद्ध और होम्योपैथ चिकित्सा) के लिए बहुत कम धन आवंटित किए जाने की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा है कि स्वास्थ्य बजट का केवल दो से तीन प्रतिशत ही आयुष के लिए आवंटित होता है जबकि इसे बढ़ा कर पचास प्रतिशत किए जाने की आवश्यकता है। श्रीवास्तव ने कहा कि एलोपैथी डॉक्टर गांवों में जाना पसंद नहीं करते और आयुर्वेद के डॉक्टर ही गांवों की सेवा करते हैं। यदि आयुर्वेद के डॉक्टरों को अतिरिक्त प्रशिक्षण देकर गांववालों के स्वास्थ्य की देखभाल की जिम्मेदारी दी जाए तो सरकार का अच्छे स्वास्थ्य का लक्ष्य प्राप्त हो सकता है। सही मद में धन को खर्च करने के लिए नियमों को सरल किया जाना जरूरी है।
इंडियन मेडिकल असोसिएशन के महासचिव डॉ. धर्म प्रकाश का मानना है कि देश में सबके लिए अच्छा स्वास्थ्य का लक्ष्य पाने के लिए सरकार को हेल्थ सेक्टर में पिछले साल रखी गई बजट राशि को बढ़ाकर कम से कम दस गुना करना चाहिए। सरकार देश में एम्स जैसी छह संस्थाएं बनाना चाहती है। गांवों में डॉक्टरों को भेजने के लिए विशेष प्रोत्साहन पैकेज देने की जरूरत होगी। नए मेडिकल कॉलेज खोलने और मौजूदा मेडिकल कॉलेजों के अपग्रेडेशन के लिए भी अधिक धन की जरूरत रहेगी। सरकार को प्राइमरी हेल्थ केयर पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
Posted on 20 February 2010 by admin
नई दिल्ली। मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल एक ओर जहां यह कह रहे हैं कि निजी स्कूलों के शुल्क और शिक्षकों के वेतन का सरकार द्वारा नियमन नहीं किया जाना चाहिए। वहीं दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने शनिवार को कहा कि वह इस मुद्दे पर उनसे चर्चा करेंगी, ताकि स्पष्ट दिशा निर्देशों पर पहुंचा जा सके।
मुद्दे पर दिल्ली सरकार के रुख के बारे में पूछे जाने पर शीला ने एक समारोह से इतर संवाददाताओं से कहा कि मैंने उनसे [सिब्बल] मुलाकात का समय मांगा है। सिब्बल ने कथित तौर पर कहा था कि निजी स्कूलों के शुल्क का नियमन नहीं किया जा सकता और प्रत्येक स्कूल को शिक्षकों का वेतन तय करने का अधिकार है।
यह पूछे जाने पर कि क्या दिल्ली सरकार इन टिप्पणियों से सहमत हैं, शीला ने कहा कि नहीं, नहीं हम मुद्दे पर चर्चा करेंगे। मैंने इस बारे में सिर्फ अखबारों में पढ़ा है। हम इस पर बात करेंगे और देखेंगे कि क्या नतीजा निकलता है।
सिब्बल की इस टिप्पणी को दिल्ली स्कूल अधिनियम 1973 के प्रावधानों के खिलाफ बताया जाता है जिसमें कहा गया है कि निजी स्कूलों के शिक्षकों का वेतन सरकारी स्कूलों के शिक्षकों से कम नहीं हो सकता। पिछले साल निजी स्कूलों द्वारा फीस बढ़ाए जाने के खिलाफ दिल्ली में जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन हुए थे।
Posted on 18 February 2010 by admin
नई दिल्ली - जेल की महिला कैदियों के हाथ के बने गुलाल से इस बार दिल्ली वासी होली खेल सकते हैं । इन महिलाओं द्वारा बनाये गये गुलाल की दिल्ली के विभिन्न स्थानों में ब्रिकी की व्यवस्था की गई है । जेल नंबर छह में बंद 20 महिला कैदी इस समय गुलाब के फूल जैस हर्बल सामग्रियों की मदद से सूखे रंग गुलाल बनाने में जुटी हुई हैं । ये गुलाल दिल्ली के चिन्हित केन्द्रों से खरीदे जा सकते है। ।
तिहाड़ की महिला कैदियों के साथ पिछले पंद्रह सालों से कार्यरत्त दिव्य ज्योति जागृति संस्थान डीजेजेएस के प्रवक्ता विशालनंद ने बताया कि हमनें अरारूट पाउडर , खाने वाले रंग और प्राकृतिक सुगंध आदि का इस्तेमाल कर त्वचा मित्रवत या खाने योग्य रंग का निर्माण किया है । मेडिकल विशेषज्ञ मानते हैं कि जल्दी पैसा बनाने के चक्कर में कुछ निर्माता रंग में डीजल , कोमियम आयोडिन , इंजीन ऑयल , ताम्रसल्फेट और सीसे का पाउडर आदि मिलाते हैं । इस कारण लोगों के सिर चक्कराने के साथ साथ सिरदर्द और सांस की तकलीफें होने लगती है ।
तिहाड़ जेल के जनसंपर्क अधिकारी सुनील गुप्ता ने कहा कि इससे महिला कैदियों को कुछ कमाई भी हो जाती हैं हालांकि यह स्थाई कार्य्रकम नहीं है । उन्होंने कहा कि विशुद्ध हर्बल गुलाल के 100 ग्राम वजन के 10,000 पैकेटों की बिक्री की व्यवस्था की गई है । इनकी ब्रिकी से इक्ट्ठा होनेवाली राशि को कैदी कल्याण कोष में जमा करा दिया जायेगा ।
Posted on 17 February 2010 by admin
नई दिल्ली - मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने शैक्षणिक प्रणाली में सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए अगले साल से 11वीं और 12वीं में अखिल भारतीय स्तर पर गणित और विज्ञान का एक समान सिलेबस लागू करने की घोषणा की है।
उन्होंने मंगलवार को कहा 2013 से 12वीं के बाद इंजीनियरिंग और मेडिकल के लिए अलग-अलग प्रवेश परीक्षाओं की जगह देशभर में एक ही परीक्षा आयोजित की जाएगी। इसी तरह कॉमर्स और मानविकी संकाय के लिए भी देशभर में एक ही परीक्षा ली जाएगी। परीक्षा का प्रारूप और अन्य तकनीकी पहलुओं को तय करने का जिम्मा टास्क फोर्स को दिया जाएगा। सरकार टास्क फोर्स का गठन एक माह के भीतर करेगी। गणित और विज्ञान का एक समान सिलेबस राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान परिषद ने तैयार किया है।
हर विषय में समान सिलेबस : सिब्बल ने यहां काउंसिल ऑफ बोर्ड्स ऑफ स्कूल एजूकेशन (कोबसे) की बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि गणित और विज्ञान में एक समान सिलेबस पर सहमति के बाद कॉमर्स और मानविकी जैसे विषयों पर भी एक समान सिलेबस तैयार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि तीन माह बाद होने वाली कोबसे की बैठक में कॉमर्स के सिलेबस पर चर्चा की जाएगी। मानविकी पर सिलेबस तैयार करते समय राज्यों की भौगोलिक और ऐतिहासिक जरूरतों का ध्यान रखा जाएगा। कोबसे की बैठक में शामिल 20 राज्यों के बोर्ड प्रतिनिधियों ने सिब्बल के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधि बैठक में मौजूद नहीं थे।
Posted on 17 February 2010 by admin
वाराणसी - भारत के विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव नवदीप सिंह सूरी ने कहा कि यदि भारत को आने वाले समय में विश्व शक्ति बनना है तो हमारे देश के योग्य युवाओं को अधिक से अधिक संख्या में विदेश सेवा में शामिल होना होगा।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के राजनीति विभाग एवं विदेश मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित गोष्ठी में नवदीप सूरी ने कहा कि अगले 15 से 20 वर्षों में देश विश्व में एक बड़ी शक्ति के रूप में अवश्य उभरेगा लेकिन इसके लिए सभी महत्वपूर्व क्षेत्रों में युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी।
उन्होंने जोर देकर कहा कि विदेश सेवा के प्रति पिछले कुछ वर्षों में देश के योग्य युवा वर्ग का रूझान कम हुआ है, यह एक चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार इसी बात को ध्यान में रखते हुए देश के 25 प्रमुख विश्वविद्यालयों में देश की विदेश नीति पर एक खुली बहस का आयोजन कर रहा है।
Posted on 17 February 2010 by admin
कर्णप्रयाग -स्थानीय महाविद्यालय में तीन दिवसीय न्यू इनोवेशन इन लाइफ सांइंसेज एंड एप्रोच टू इन्वायरमेंटल एंड बायोडायरवरसिटीज इन हिमालयाज विषय पर आयोजित सिम्पोजियम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. यूएस रावत ने कहा कि हिमालय में आ रहे परिवर्तनों को वैज्ञानिकों को समझना होगा व इसे जीवित रखने के लिए ठोस उपाय भी खोजने होंगे।
महाविद्यालय के जूलॉजी व बॉटनी विभाग द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय गोष्ठी में प्रसिद्ध प्रयावरण प्रेमी जंगत सिंह जंगली ने बतौर विशिष्ट अतिथि पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए मिश्रित वनों की आवश्यकता पर जोर दिया।
जंगली ने पर्यावरण को बचाने के लिए आम जन का आह्वान करते हुए कई सुझाव भी दिए। इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व छात्र-छात्रओं द्वारा प्रस्तुत वंदना से हुई। महाविद्यालय के प्राचार्य डॅ. एमएस रौतेला ने आगंतुकों का स्वागत किया। गोष्ठी के दूसरे सत्र में चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय से आए प्रो. सीएम गोबिल ने सिक्किम में बुंराश की जैव विविधता पर चर्चा की।
डॉ. प्रकाश पठानियां ने कीट विज्ञान में तितलियों का प्रकृति में महत्व पर विचार व्यक्त किए। महाविद्यालय के डॉ. शलभ गुप्ता व डॉ. डीके भाटिया ने भी विचार रखे। कार्यक्रम में विभिन्न संस्थानों व महाविद्यालय से आए अध्यापक व रिसर्च स्कालर समेत महाविद्यालय के छात्रों ने प्रतिभाग किया। संचालन डॉ. प्रीतम सिंह ने किया।
Posted on 12 February 2010 by admin
लखनऊ - मोनिन कान्फ्रेंस द्वारा वर्तमान हालात और उसके समाधान विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए तीसरा स्वाधीनता आन्दोलन की राश्ट्रीय संगठन गोपाल राय ने कहा कि आज तेजी के साथ एक तरफ भारत में अमीरी बढ़ रही है तो दूसरी तरफ उससे कई गुना रफ्तार से लोग गरीब होते जा रहे है। हालात यह हो गए है कि देश में डेढ़ सौ लोगों के पास मुल्क की एक चौथाई सम्पत्ति का मालिकाना जा चुका है वही सरकारी आकड़े के अनुसार मुल्य के 80 प्रतिशत लोग बीस रूपये प्रतिदिन की आमदनी में गुजारा करने के लिए मजबूर हो चुके है। पिछले पांच सालों में दस फीसदी गरीब की पलहे से बढ़ोत्तरी हो चुकी है। इस बढ़ती गरीबी का मूल कारण यह है कि आज बहुत तेजी के साथ विदेशी व उनके गठजोड़ में चलने वाली भारतीय कम्पनियों द्वारा भारत का आर्थिक दोहन करे पैसा मुल्क से बाहर ले जाया जा रहा है और हमारी सरकारें उनकी गुलाम बनकर रह गई है। इतना ही नही इस बढ़ती गुलामी और गरीबी के खिलाफ लोगों की कोई संगठित आवाज न बन सके लोगों को जाति, धर्म, भाशा व क्षेत्र के नाम पर बांटने की साजिशें रचि जा रही है।
उन्होंने कहा कोई भी मुल्क तब तक तरक्की नही कर सकता जब तक वहां के सभी लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य, न्याय, रोजगार व विकास के लिए अवसर मुहैया न हो। इन्हीं हकों को हासिल करने के लिए 26 जनवरी 1930 को राबी के तट पर देश के स्वाधीनता सेनानियों सम्पूर्ण आजादी देने का संकल्प लिया था 1947 के बाद बनी सरकारों द्वारा उस लक्ष्य का पूरा करना तो दूर उन शहीदों को अपमानित किया जाता रहा है।
गोष्ठी में बोलते हुए मोमिन कांफ्रेंस के प्रदेश अध्यक्ष मो0 रईस अन्सारी ने कहा कि सेना गुप्ता आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक इस देश के 77 प्रतिशत नागरिक गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करते है। इस सन्दर्भ में सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्रा कमीशन की रिपोर्ट का अवलोकन किया जाय तो पता चलता है कि इस देश का मुसलमान सबसे ज्यादा गरीब है। आजादी के 64 साल गुजरने के बाद बेइमान नेताओं की कयादत में गरीब को दाल-रोटी चावल मिलना मुिश्कल हो गया है। मेरा मानना है कि पेट की भूख से प्रभावित लोग ही तीसरे स्वाधीनता आन्दोलन की सबसे बड़ी आवाज बनेंगे।
Posted on 12 February 2010 by admin
लखनऊ - पर्यावरण संरक्षण के लिए संकल्पित गैर सरकारी संस्था आईरीड भारत पॉलीथीन से होने वाले घातक जल प्रदूशण के प्रति आम लोगों में जागरूकता लाने का कार्य विगत चौदह वर्षो से कर रही है। आईरीड के स्वयंसेवी सदस्य त्योहारों व अन्य खास अवसरों पर लोगों को पालीथीन से होने वाले नुकसान और परम्परागत गृहस्थी में प्रयोग होने वाली वस्तुओं के फायदे बताये।
आईरीड की निदेशक डा0 अर्चना ने बताया कि संस्था द्वारा पवित्र त्योहार शिवरात्रि के दिन पॉलीथीन प्रदूशण के प्रति लोगों में जागरूक करने के लिए कार्यक्रम किया। उन्होंने बताया कि शिवरात्रि के दिन मन्दिरों तथा पवित्र नदियों के किनारे पालीथीन का अत्यधिक प्रयोग होता है। पूंजा आदि की समस्त वस्तुए अब पॉलीथीन के पैक में मिलती है। इस तरह प्रदूशण के इस खतरनाक कारक ही घुसपैठ मन्दिरों, व्रतों और त्योहारों तक पहुंच चुकी है।
डा0 अर्चना ने शिवरात्रि के पावन पर्व पर सभी नागरिकों से पॉलीथीन का प्रयोग न करने और उसके स्थान पर परम्परागत घरेलू वस्तुएं इस्तेमाल करने का संकल्प लेने की अपील करती रही। उन्होंने अपील में कहा कि पॉलीथीन के स्थान पर उपयोग की जाने वाली वस्तुए कपड़े तथा जूट के बैग या झोले, हाथ से बुने बैग या झोले, बांस की टोकरियां आदि, कांस व मूंज आदि के विविध घरेलू सामान, रद्दी कागज के खोखे, मिट्टी के बर्तन, चीनी मिट्टी के बर्तन आदि का प्रयोग बिगड़ते पर्यावरण को बचाने की मुहिम के लिए मद्दगार साबित होगा।