Archive | October, 2012

निर्धन एवं असहाय वर्ग के लोगों को वस्त्रों का वितरण

Posted on 31 October 2012 by admin

dsc02278Help U education & Charitable Trust के तत्वाधान से निर्धन एवं असहाय वर्ग के लोगों को वस्त्रों का वितरण हनुमान सेतु मंन्दिर में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में महापौर डा0 दिनेश शर्मा ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत कि। डा0 दिनेश शर्मा ने दया भाव से उपस्थित 400 के करीब लोगों को वस्त्र दान किये। भीङ में मौजुद नौजवानों dsc02270को काम करने की सलाह दी और बच्चों को पढने के लिये प्रोत्साहित किया। श्री शर्मा ने  Help U Trust  के इस सामाजिक कार्य की प्रशसंा की एवं अधिक से अधिक लोगों को आगे बढकर असहाय एवं निर्धन लोगों की सहायता की अपील की। श्री शर्मा ने भ्मसच न् ज्तनेज की अध्यक्षिका श्रीमती किरन अग्रवाल, प्रबन्ध नियासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, वित्त नियंत्रक CA प्रियंका गर्ग, Chief Co-ordinator  श्री वकार अहमद, निदेशक (matrimonial) श्रीमती अंजली लाल,  निदेशक (NGO) श्री अमित कुमार सिंह, निदेशक (Placement) श्रीमती निधि निगम, निदेशक (Domestic Help) श्री संतोष कुमार सिंह, कार्यकर्ता निशित मिश्रा एवं प्रभात गौतम की सराहना की एवं भविष्य के लिये प्रोत्साहित किया। Help U Trust की ओर से हर्ष वर्धन अग्रवाल ने मुख्य अतिथी एवं अन्य उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त किया एवं प्रति माह वस्त्र वितरण आयोजन का आश्वासन दिया। कार्यक्रम में पार्षद श्री मुन्ना मिश्रा, पार्षद गब्बर, पुर्व पार्षद लोकेश एवं भारी संख्या में लोग मौजुद थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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सर्वाधिक पदकों के लिए देश-विदेश की टीमों में रही होड़

Posted on 31 October 2012 by admin

इण्टरनेशनल मैथमेटिक्स एण्ड साइन्स ओलम्पियाड (आई.एम.एस.ओ.-2012) का तीसरा दिन

imso_day3-competitionसिटी मोन्टेसरी स्कूल, आर.डी.एस.ओ. कैम्पस की मेजबानी में सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम में चल रहे इण्टरनेशनल मैथमेटिक्स एण्ड साइन्स ओलम्पियाड (आई.एम.एस.ओ.-2012) का तीसरा दिन बेहद दिलचस्प रहा। सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम में आज जहाँ एक ओर विश्व के 12 देशों से पधारे छात्रों ने साइंस एक्सपेरीमेन्ट्स एवं एक्सप्लोरेशन विद मैथमेटिक्स जैसी रोचक प्रतियोगिताओं में गणित व विज्ञान के ज्ञान का भरपूर प्रदर्शन किया तो वहीं दूसरी ओर सायंकालीन सत्र में अपने-अपने देशों के लोकनृत्यों की अनूठी छटा से सभी को भावविभोर कर दिया। आई.एम.एस.ओ.-2012 की प्रतियोगिताओं में देश-विदेश के प्रतिभागी छात्रों का उत्साह देखने लायक था, सभी छात्र टीमें ज्यादा से ज्यादा पदक जीतने की कोशिश में अपने ज्ञान-विज्ञान का प्रदर्शन करने में किसी से पीछे नहीं थे। सी.एम.एस. कानपुर रोड का विशाल परिसर आज एक ‘ग्लोबल विलेज’ का नजारा प्रस्तुत कर रहा था जहाँ 12 देशों ताइवान, चीन, फिलीपीन्स, इण्डोनेशिया, थाईलैण्ड, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, मलेशिया, नेपाल, नाइजीरिया, श्रीलंका व भारत के प्रतिभाशाली छात्र अपने ज्ञान-विज्ञान का अभूतपूर्व प्रदर्शन कर रहे हैं। ज्ञातव्य हो कि 13 वर्ष से कम आयु के छात्रों के लिए यह अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पियाड (आई.एम.एस.ओ.-2012) पहली बार भारत में आयोजित किया जा रहा है जिसकी संयोजिका सी.एम.एस. आर.डी.एस.ओ. कैम्पस की प्रधानाचार्या श्रीमती स्वप्ना मंशारमानी है। इस अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पियाड में विश्व के 12 देशों से लगभग 600 छात्र व विशेषज्ञ अपनी भागीदारी दर्ज करा रहे हैं।
आई.एम.एस.ओ.-2012 के तीसरे दिन का शुभारम्भ आज प्रख्यात शिक्षाविद् व सी.एम.एस. संस्थापक डा. जगदीश गाँधी के सारगर्भित उद्बोधन से हुआ जिन्होंने अपनी ओजस्वी वाणी से देश-विदेश से पधारे प्रतिभागी छात्रों में अभूतपूर्व उत्साह व आत्मविश्वास का संचार किया। अपने संबोधन में डा. गाँधी ने प्रतिभागी छात्रों के उत्साह व लगन की प्रशंसा करते हुए कहा कि इन छात्रों में कुछ नया कर दिखाने का इतना जोश है कि यही जोश मानवजाति के विकास का पथ प्रशस्त करेगा। उन्होंने कहा कि ज्ञान की कोई सीमा नहीं होती न ही यह किसी देश की सीमा में बाँधकर रखा जा सकता है। वैज्ञानिक प्रगति व आध्यात्मिक, नैतिक विचारों के मिलन से ही मानवता की प्रगति सम्भव है और यही आदर्श विश्व व्यवस्था की आधारशिला भी है।
imso_day3-lucknow-visit1 आई.एम.एस.ओ.-2012 एक्जीक्यूटिव बोर्ड के सदस्य व थाईलैण्ड से पधारे प्रख्यात शिक्षाविद् डा. प्रमोट ने बताया कि इस ओलम्पियाड के प्रश्नपत्रों को बनाने में कई देशों के गणितज्ञों व विज्ञान विशेषज्ञों का योगदान होता है एवं इसके पश्चात एक उच्चस्तर की कमेटी फाइनल प्रश्नों का चुनाव कर प्रश्नपत्र तैयार करती है।
नाइजीरिया से पधारे शिक्षाविद् श्री कालू इंडिका कालू व श्री अजाकाये एबेनजर ने आई.एम.एस.ओ.-2012 की संयोजिका व सी.एम.एस. आर.डी.एस.ओ. कैम्पस की प्रधानाचार्या श्रीमती स्वप्ना मंशारमानी व सी.एम.एस. संस्थापक डा. जगदीश गाँधी की भरपूर प्रशंसा करते हुए कहा कि नाइजीरिया के छात्रों को भारतीय वेषभूषा व खानपान बहुत भा रहे हैं। लोगों में बहुत आत्मीयता है व शिक्षा का स्तर भी सराहनीय है। किताबी ज्ञान के अतिरिक्त गाँधी जी जो विश्व एकता व विश्व शान्ति की शिक्षा दे रहे हैं, वह अनुकरणीय है। इसी प्रकार थाईलैण्ड से पधारे शिक्षाविद्
श्री जिन्डानूवाट जिराट और निपापोर्न युनप्रास्कृत ने कहा कि कल उन्होंने लखनऊ भ्रमण किया और इस यादगार पलों वे कभी भूल नहीं पायेंगे। लखनऊ की संस्कृति व सभ्यता सचमुच अनूठी है। चीन से पधारी शिक्षिका सुश्री ही क्विंग जीजियांग ने कहा कि यहाँ का साँस्कृतिक कार्यक्रम उन्हें बहुत पंसद आया और अपने देश में अपने विद्यालय के छात्रों को भी वे एकता व शांति का पाठ पढ़ायेंगी। श्रीलंका से पधारी डा. एस. के. गालाटिया ने कहा कि उनके देश के सर्वश्रेष्ठ छात्र एक विशेष चयन परीक्षा के बाद यहाँ आये हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि उनके छात्र सर्वाधिक पदक जीतने में सफल होंगे। श्रीलंका से ही पधारी श्रीमती आर.ए.एस.पी. रानावत व श्रीमती सुलोचना ने कहा कि बच्चों को शुरू से ही गणित व विज्ञान की शिक्षा मिलनी चाहिए, साथ ही नैतिक शिक्षा भी प्रदान करनी चाहिए जिससे वे अपने ज्ञान का दुरुपयोग न करें।
सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने बताया कि सांय सत्र में देश विदेश की प्रतिभागी टीमों ने शानदार शिक्षात्मक-साँस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया और नाटक, गीत, नृत्य इत्यादि द्वारा अपने देश की संस्कृति की झलक पेश की और दर्शकों का दिल जीत लिया। श्री शर्मा ने बताया कि अभूतपूर्व सफलता की दास्तान लिखने वाला यह अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पियाड कल सम्पन्न हो जायेगा। कल अपरान्हः 3.00 बजे आई.एम.एस.ओ.-2012 का ‘‘समापन व पुरस्कार वितरण’’ समारोह सी.एम.एस. कानपुर रोड में आयोजित हो रहा है जिसमें देश-विदेश के विजयी प्रतिभागियों को पुरष्कृत कर सम्मानित किया जायेगा। इस अवसर पर श्री पार्थ सारथी सेन शर्मा, आई.ए.एस., सचिव, शिक्षा, उ.प्र., मुख्य अतिथि के रूप में पधारकर विजयी छात्रों को पुरष्कृत कर सम्मानित करेंगे तथापि सी.एम.एस. छात्र देश-विदेश से पधारे बाल गणितज्ञों व प्रख्यात गणित विशेषज्ञों के सम्मान में रंगारंग शिक्षात्मक-साँस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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विकलांगों एवं दृष्टिबाधितों को आँखों में रोशनी के साथ शिक्षा, रोजगार और जीवन साथी दिलाने के लिए

Posted on 30 October 2012 by admin

_dsc8946संस्था प्रकृति द नेचर जो कि बाल कल्याण, नेत्रदान, प्रकृति संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत है, ने अपनी 10 वीं वर्षगांठ के अवसर पर सी0एम0एस0 सभागार, गोमती नगर, लखनऊ में आज एक समारोह का आयोजन किया। इस अवसर पर महापौर लखनऊ डा0 दिनेश रूार्मा जी ने सामाजिक पोर्टल www.beyondthevision.in जो कि नेत्रहीनों एवं विकलांगों को समर्पित हैद्ध का का शुभारम्भ किया।  लिम्का बुक आॅफ रिकार्डस 2008, 2009 में नामित 13 वर्षीय प्रकृति चन्द्रा पिछले 9 वर्षो से नेत्रदान के लिए काम कर रही है। अब प्रकृति चन्द्रा ने इस पोर्टल का निर्माण विकलांगों एवं दृष्टिबाधितों को आँखों में रोशनी के साथ शिक्षा, रोजगार और जीवन साथी दिलाने के लिए किया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रकृति ने पोर्टल के बारे में विस्तृत जानकरी दी। उन्होनें बताया कि पोर्टल के माध्यम से दृष्टिबाधितों को पाठ्यक्रम की पुस्तकों की Audio CD निःशुल्क प्रदान की जायेगी साथ ही परीक्षा में लिखने के लिए सहयोगी छात्र भी उपलब्ध कराये जायेगें। कोई भी बरोजगार दृष्टिबाधित, विकलांग व्यक्ति पोर्टल पर अपना निःशुल्क पंजीकरण करा सकता है। Beyond The Vision  उन्हें सरकारी विभाग एवं प्राइवेट कम्पनियों में नौकरी उपलब्ध करायेगा।  इस पोर्टल पर विकलांग एवं दृष्टिबाधित अपने विवाह हेतु निःशुल्क पंजीकरण करा सकते हैं, यह पोर्टल उनके लिए सुयोग्य जीवन साथी की तलाश करेगा। जो व्यक्ति नेत्रदान का संकल्प लेना चाहते हैं, वह www.beyondthevision.in पर फार्म भर कर नेत्रदान कर  सकते हैं और जिन दृष्टिबाधित लोगों को कार्निया की जरूरत है वह भी अपना निःशुल्क पंजीकरण करा सकते हैं। वृद्ध एवं गरीब लोगों के लिए निःशुल्क मोतियाबिन्द के आप्रेशन की व्यवस्था भी www.beyondthevision.in पोर्टल द्वारा की जायेगी। इस पोर्टल में नेत्रदान के बारे में बताया गया है कि कौन व्यक्ति नेत्रदान कर सकता है, कौन नेत्रदान नहीं कर सकता है? मृत्युपरान्त नेत्रदान के लिए क्या सावधानियां रखनी चाहिए आदि।
l-r-dr-roopesh-kumar-prakrati-chandra-2महापौर लखनऊ डा0 दिनेश शर्मा जी ने इस पोर्टल को विकलांगों और दृष्टिबाधितों के लिए वरदान स्वरूप बताया और कहा कि इसका उपयोग कर हर व्यक्ति समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी पूरी कर सकता है। उन्होनें पोर्टल की तारीफ करते हुए कहा कि प्रकृति चन्द्रा का यह अनूठा प्रयास विकलांगों और दृष्टिबाधितों के जीवन को सम्पूर्णता प्रदान करेगा। अन्त में संस्था के अध्यक्ष डा0 रूपेश कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। इस मौके पर श्री आर0 के0 मित्तल, रिटायर्ड आई0ए0एस0 अनीस अन्सारी - वाइस चान्सलर उर्दू अरबी यूनिवर्सिटी, श्री काजल घोष मुख्य महाप्रबन्धक - स्टेट बैंक, जगदीश गांधी सस्थापक सी0एम0एस0, कुमकुम राय चैधरी - सहारा इण्डिया परिवार सहित सैकड़ों दृष्टिबाधित, विकलांग एवं गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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इण्टरनेशनल मैथमेटिक्स एण्ड साइन्स ओलम्पियाड (आई.एम.एस.ओ.-2012)

Posted on 30 October 2012 by admin

अद्वितीय प्रतिभा का प्रदर्शन किया देश-विदेश के छात्रों ने

cultural_imso1participants_imso1सिटी मोन्टेसरी स्कूल, आर.डी.एस.ओ. कैम्पस की मेजबानी में सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम में आयोजित हो रहे चार दिवसीय इण्टरनेशनल मैथमेटिक्स एण्ड साइन्स ओलम्पियाड (आई.एम.एस.ओ.-2012) के दूसरे दिन आज 12 देशांे से पधारे छात्रों ने गणित व विज्ञान विषयों में अपने ज्ञान-विज्ञान का जबरदस्त प्रदर्शन किया। सैद्वान्तिक प्रश्नावली पर आधारित आज की प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग हेतु देश-विदेश के छात्रों ने खूब रुचि दिखाई व पूरे उत्साह व जोश से अपनी ज्ञान का प्रदर्शन किया। इसके अलावा विभिन्न देशों से पधारे गणित व विज्ञान के विशेषज्ञों से भी छात्रों ने खूब मार्गदर्शन प्राप्त किया। ज्ञातव्य हो कि 13 वर्ष से कम आयु के छात्रों के लिए यह अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पियाड पहली बार भारत में आयोजित किया जा रहा है जिसकी संयोजिका सी.एम.एस. आर.डी.एस.ओ. कैम्पस की प्रधानाचार्या श्रीमती स्वप्ना मंशारमानी है। इस अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पियाड में विश्व के 12 देशों ताइवान, चीन, फिलीपीन्स, इण्डोनेशिया, थाईलैण्ड, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, मलेशिया, नेपाल, नाइजीरिया, श्रीलंका व भारत के विभिन्न प्रान्तों से लगभग 600 छात्र व विशेषज्ञ अपनी भागीदारी दर्ज करा रहे हैं।
इससे पहले आई.एम.एस.ओ.-2012 के दूसरे दिन का शुभारम्भ दीप प्रज्वलन व सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी के सारगर्भित अभिभाषण से हुआ। इस अवसर पर बोलते हुए डा. गाँधी ने कहा कि विद्यालय समाज का प्रकाश स्तम्भ है और आधुनिक युग के विद्यालयों का दायित्व बनता है कि वे अपने छात्रों को विज्ञान व आध्यात्म का समग्र ज्ञान उपलब्ध करायें। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस अनूठे ओलम्पियाड से सहभागिता, भाईचारा, दोस्ती, प्रेम व शान्ति का जो प्रकाश निकलेगा व विश्व के सभी देशों में फैलकर सम्पूर्ण विश्व को एकता के सूत्र में पिरो देगा।
इण्डोनेशिया से पधारी आई.एम.एस.ओ.-2012 के एक्जीक्यूटिव बोर्ड की अध्यक्षा सुश्री अलवीरा ने इस आयोजन पर भूरि-भूरि प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इस ओलम्पियाड को जितने अच्छे ढंग से यहाँ सम्पन्न किया जा रहा है, उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए, कम होगी। इससे पहले 6 वर्षो तक यह प्रतियोगिता इण्डोनेशिया में आयोजित की गई और पिछले वर्ष फिलीपीन्स में सम्पन्न हुई, परन्तु इस वर्ष सी.एम.एस. आर.डी.एस.ओ. की मेजबानी में सम्पन्न हो रहा यह ओलम्पियाड अपने आप में अद्धितीय है, जो भारत की महान संस्कृति व सभ्यता का उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। सुश्री अलवीरा ने इस आयोजन हेतु सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी एवं सी.एम.एस. आर.डी.एस.ओ. कैम्पस की प्रधानाचार्या व संयोजिका श्रीमती स्वप्ना मंशारमानी की मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हुए  एकता व शान्ति के प्रयासों हेतु हार्दिक आभार व्यक्त किया।
participants_imso3 फिलीपीन्स से पधारे प्रख्यात गणितज्ञ व आई.एम.एस.ओ.-2012 एक्जीक्यूटिव बोर्ड के वाइस-चेयरमैन डा. साइमन चुआ ने कहा कि गणित व विज्ञान में पारंगत होने से छात्रों में आत्मविश्वास बढ़ता है व नई खोजें करने में व सक्षम होते है। इन छात्रों में बहुत प्रतिभा व ज्ञान छिपा हुआ है, हमारा काम है इनके अन्दर छिपी प्रतिभा को अवसर प्रदान करना। इस अनूठे ओलम्पियाड का आयोजन इसी सोच का परिणाम है। ताइवान से पधारे जाने-माने गणितज्ञ व आई.एम.एस.ओ.-2012 एक्जीक्यूटिव बोर्ड के सदस्य प्रो. वेन सीन सुन ने कहा कि गणित से छात्रों में तार्किक शक्ति व बुद्धिमत्ता दोनों का विकास होता है। विज्ञान के नियम सभी देशों में एक समान लागू होते हैं, जरूरत यह है कि इस ज्ञान को कक्षा की चारदीवारी से निकालकर समाज के रचनात्मक विकास में उपयोग किया जाए। उन्होंने कहा कि इस ओलम्पियाड में हम गणित व विज्ञान की सभी विधाओं में छात्रों के ज्ञान को, उनकी रुचि को व उनकी जिज्ञासाओं को टटोलने का प्रयास कर रहे हैं। आई.एम.एस.ओ.-2012 एक्जीक्यूटिव बोर्ड के एक अन्य सदस्य, थाईलैण्ड से पधारे डा. प्रमोट कजोर्नपाई ने भारत के बच्चों की तारीफ की व इस ओलम्पियाड को छात्रों के सम्पूर्ण विकास हेतु मील का पत्थर बताया।
प्रतियोगिताओं के उपरान्त सी.एम.एस. कानपुर रोड कैम्पस में आज लघु विश्व का अद्भुद नजारा देखने को मिला जहाँ विभिन्न देशों से पधारे एक-दूसरे से ऐसे घुलमिल गये कि देश, प्रान्त, भाषा आदि की विविधता ढूंढे नही दिखाई दे रही थी। इस अवसर पर विभिन्न देशों से पधारे मेधावी छात्रों ने प्रतियोगिताओं पर अपने अनुभव भी बांटे। दक्षिणी अफ्रीका से पधारे प्रतिभागी छात्रों को यह participants_imso2प्रतियोगिता मुश्किल किन्तु दिलचस्प लगी। जहाँ एक ओर डर्बन शहर से पधारी रिबेका फाॅक्सन ने लखनऊ व आगरा घूमने की जिज्ञासा दिखाई तो वहीं दूसरी ओर प्रिटोरिया शहर से पधारी कैरीस टेªथन व जोहानिस्बर्ग से पधारी डैनियल नायडू ने कहा कि भारत उनके दादा परदादा का देश है। यहां आने से उनका सपना पूरा हुआ है। इसी प्रकार नेपाल, चीन व इण्डोनेशिया के छात्रों ने भी भारतीय संस्कृति में काफी दिलचस्पी दिखाई। देश-विदेश से पधारे इन छात्रों ने प्रतियोगिताओं के उपरान्त आज लखनऊ दर्शन का भी खूब आनन्द उठाया।
सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने बताया कि इस सम्मेलन में प्रतियोगिताओं का दौर कल भी जारी रहेगा। ओलम्पियाड के तीसरे दिन कल 31 अक्टूबर को साइंस एक्सपेरीमेन्ट्स एवं एक्सप्लोरेशन विद मैथमेटिक्स जैसी रोचक प्रतियोगिताएं आयोजित होंगी। इसके अलावा सायं 6.00 बजे 12 देशों से पधारी प्रतिभागी छात्र टीमें रंगारंग शिक्षात्मक-साँस्कृतिक कार्यक्रमों की अनूठी छटा प्रस्तुत करेंगे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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पोर्टल के द्वारा विकलांगों और दृष्टिबाधितों को शिक्षा, रोजगार, विवाह हेतु निःशुल्क मदद प्रदान की जायेगी

Posted on 29 October 2012 by admin

पिछले 10 वर्षो से नेत्रदान, बालकल्याण एवं प्रकृति संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत संस्था ‘‘प्रकृति द नेचर’’’ की ब्राण्ड एमबेसडर प्रकृति चन्द्रा है, जिनका नाम लिम्का बुक आॅफ रिकार्डस 2008, 2009 में भी दर्ज है। प्रकृति चन्द्रा पिछले 9 वर्षो से नेत्रदान के लिए काम कर रही है और आज उनके प्रयास से सैकड़ों दृष्टिबाधितों को आखों की रोशनी मिली है। प्रकृति का यह अभियान किसी राज्य, किसी देश तक सीमित न रह जाये, वह अन्र्तराष्ट्रीय स्तर पर विकलांगों और दृष्टिबाधितों की मदद कर सके। इसके लिए प्रकृति चन्द्रा ने Social portal Beyond The Vision का निर्माण किया है। इस पोर्टल के द्वारा विकलांगों और दृष्टिबाधितों को शिक्षा, रोजगार, विवाह हेतु निःशुल्क मदद प्रदान की जायेगी।

इस पोर्टल में नेत्रदान से सम्बन्धित पूरी जानकारी उपलब्ध है। जिनको कार्निया की जरूरत या जो लोग नेत्रदान का संकल्प लेना चाहते हैं इस पोर्टल पर अपना निःशुल्क पंजीकरण करा सकते हैं। साथ ही वृद्ध एवं गरीब लोग मोतियाबिन्द के निःशुल्क आप्रेशन के लिए Beyond The Vision  पर अपना पंजीकरण करा सकते हैं।

Beyond The Vision का शुभारम्भ 30.10.12 को दोपहर 12.15 बजे सी0एम0एस0 सभागार, गोमती नगर, लखनऊ में किया जायेगा। यह पोर्टल जिन दृष्टिबाधित, विकलांगो और वृद्ध गरीब लागों के लिए है उनमे से बहुत कम लोग ही इसका उपयोग कर पायेगें।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Formula 1 Driver Fernando Alonso Promotes Handwashing in Uttar Pradesh

Posted on 26 October 2012 by admin

01unicef_alonso-lowres_-6031Formula 1 Driver and UNICEF Ambassador, Fernando Alonso, participated today in a visit to a primary school in Tugarpur -a village in the state of Uttar Pradesh, one hour South-East of Delhi- to promote handwashing with soap. “This very simple act can save hundreds of thousands of children who needlessly die every year,” he said.

In India, more than 1,000 young children die every day from diarrhea due to the lack of safe water, sanitation and basic hygiene. “Hygiene is critical to good health as it reduces the transmission of disease and the number of deaths,” Mr. Alonso stated. In fact, washing hands with soap at critical times –after using toilets, before eating and preparing food- can reduce the incidence of diarrhea in children under five by more than 40 per cent.

“Halting the spread of diarrheal disease is not complicated or costly. You do not need a winning formula to save the lives of millions of young children around the world. The solution already exists: soap and water. Let’s make ‘wet, rub’ rinse’ a routine for everyone. Schools are the best place to start spreading the message” he pointed out.

During the visit which coincides with the Formula 1 Race to be held in New Delhi on 28 October, Mr. Alonso engaged in a school based activity of hand washing with children on the occasion of the month-long Global Handwashing Day Campaign promoted by UNICEF and other counterparts. The two-time world champion interacted with students and teachers to get to understand the situation of water, sanitation and hygiene (WASH) facilities in the school.

After acknowledging the efforts done by the Government of India towards institutionalizing handwashing with soap in schools, Mr. Alonso highlighted the importance of sanitation facilities as a critical factor for ensuring enrolment and preventing drop outs. “Improved sanitation facilities, with hygiene practices built into the school routine, contribute to a healthy environment for all the community, reducing dropout rates and enhancing educational performance among children. This is especially critical for girls,” he said.

Sue Coates, Chief of WASH in UNICEF India, who accompanied the UNICEF Ambassador throughout the visit explained that to ensure clean hands for all it is crucial to support initiatives involving children and youth as they are effective agents of change. “Working with their teachers and peers, they can create an active learning environment in school and also carry messages back home to motivate their families to hand wash with soap at critical times. We are currently supporting the Government of India to institutionalize handwashing with soap in schools before the Mid-Day Meal so that over 110 million children are reached every day”.

Mr. M.K.S Sundaram, District Magistrate, Gautam Budh Nagar, Uttar Pradesh said, “Handwashing Day should not be commemorated for a day or week, it should be for life.” He encouraged all children to practice handwashing at critical times.

This year the message on handwashing with soap is being carried by millions of school children in over 100 countries in a month of activities. In India, children in 1.3 million primary and upper primary schools are participating in the celebrations to mark Global Handwashing Day.

UNICEF with the Global Public Private Partnership for Handwashing is also rolling out a social media campaign with the hashtag #iwashmyhands which has already reached thousands around the world. The partnership has also developed a ‘World Wash Up’ game on the Global Handwashing Day site that invites players to zap germs.

As part of this campaign, and with the aim of raising awareness about the importance of handwashing with soap, UNICEF has launched an online platform http://www.donatetounicef.org/killthegerms/# with videos, game, feature stories, photo essays and a photo contest.

PS: B-roll available for TV, please call #9810170289

About Fernando Alonso:
Fernando Alonso was appointed a UNICEF Spain Ambassador in 2005. Since then, he has joined several campaigns in support of UNICEF and its partners, and has made three field visits. In 2005 and 2009 Fernando visited UNICEF programmes to promote Childhood Rights in Sao Paulo, Brazil. In 2011 he visited a Children’s Hospital in Delhi (India) where he vaccinated some children against polio.

About Global Handwashing Day:

Global Handwashing Day is celebrated on October 15. The Global Public-Private Partnership for Handwashing with Soap initiated Global Handwashing Day in 2008, and it is endorsed by governments, international institutions, civil society organisations, NGOs, private companies and individuals around the globe. Visit www.killthegerms.in

About UNICEF:
UNICEF works in 190 countries and territories to help children survive and thrive, from early childhood through adolescence. The world’s largest provider of vaccines for developing countries, UNICEF supports child health and nutrition, good water and sanitation, quality basic education for all boys and girls, and the protection of children from violence, exploitation, and AIDS. UNICEF is funded entirely by the voluntary contributions of individuals, businesses, foundations and governments. For more information about UNICEF and its work visit: www.unicef.org

A SNAPSHOP ON HANDWASHING AND SANITATION IN INDIA

•    The practice of handwashing with soap in India is not widespread. A study showed that only 53 per cent of the population wash hands with soap after defecation, 38 per cent before eating, and 30 per cent before preparing food.

•    Diarrhoea and respiratory infections are the number one cause for child deaths in India. More than 1,000 children die every day from diarrhoea.

•    The Government of India is aiming at institutionalize handwashing with soap in schools before Mid Day Meal. 110 million children are reached every day.

•    Nearly half (51%) of the schools have a designated hand washing space and in 44% of the schools observed the hand washing space was being used.

•    Only close to one in ten (12%) of schools had soap/detergent available at the hand washing space.

•    Nearly half (49%) of the students washed their hands using only water. Only two out of five (42%) students use soap/detergent.

•    Globally, India has the largest number of people – more than 600 million – still defecating in the open. Less than half the population of India use toilets.

•    A very low proportion of the rural population in India uses improved sanitation (facilities which ensure hygienic separation of human excreta from human contact). Almost 70 per cent do not have access to toilets.

•    Although access to sanitation in rural India is improving, the gain is inequitable. Open defecation is still increasing among the poorest 20% of the population.

•    There has been good progress in providing toilet facilities in schools in India. The proportion of schools having toilets increased over a five-year period.

•    Almost 28 million school children across India do not have access to school toilet facilities.

•    Although access to improved sanitation is steadily increasing in India, the use of improved sanitation in the country remains an enormous challenge.

•    7 states in India (Orissa, Meghalaya, Chhattisgarh, Jharkhand, Assam and Bihar) account for almost 50% (13.8 million) children without access to toilet facilities in schools.

•    The number of schools having toilet facility in India has increased from 0.6 million (~52%) in 2005-06 to ~1.14 million (84%) in 2010-11.

•    In Indian rural schools, toilet facility increased from 0.4 million schools (49%) in 2005-06 to 0.7 million schools (79%) in 2009-10, where they have at least one toilet facility.

•    The number of schools in India having separate toilet facility for girls increased from ~0.4 million (~37%) in 2005-06 to ~0.8 million (~60%) in 2010.

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For further information, please contact:
Caroline den Dulk, Chief, Advocacy & Partnerships, UNICEF India. Mobile: +91-98-1810-6093
María Fernández, Communication Specialist, UNICEF India. Mobile:+91-99-581-76291
Geetanjali Master, Communciation Specialist, UNICEF India, Mobile:+91-98-181-05861
Sonia Sarkar. Communication Officer, UNICEF India. Mobile: +91-98-10170289

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इम्प्लान्ट अत्यधिक सफल रहे हैं

Posted on 15 October 2012 by admin

dscn0686इम्प्लान्ट भारत में 90 के दशक में शुरू किये गए थे जिसमें कि अब तक काॅफी पदोन्नति कर ली है। इम्प्लान्ट अत्यधिक सफल रहे हैं और लापता दाँत Missing Tooth  की अचल प्रतिस्थापन  Fixed Replacement के लिए अपेक्षाकृत सबसे अच्छा विकल्प है।
भगवान ने दो दाँतों के सेट को बनाया और दन्त चिकित्सकों के द्वारा बनाये गये अचल Fixed दाँतों के सेट को डेण्टल इम्प्लान्ट कहते है।
दन्त चिकित्सकों का एक समूह, जिसमें डाॅ. इकबाल अली, डाॅ. पुनीत वाधवानी, डाॅ. सौरभ चतुर्वेदी, डाॅ. सुबोध नाटू के साथ मिल कर डाॅ. टी.वी. नारायण (प्रसिद्ध इम्प्लाॅन्टोलोजिस्ट) एक वर्कशाप की शुरूआत की और एक इम्प्लान्ट की लाइव सर्जरी दिखाई।
इस कार्यशाला की विशेषता यह है कि इसमें कम खर्च में (3 माॅड्यूल्स, 9 दिन) वर्कशाप हो रही है। आयोजकों की टीम में डाॅ. उत्सव श्रीवास्तव, डाॅ. सौम्या सिंह, डाॅ. मोनिका निशाल हैं जिनका महत्वपूर्ण योगदान है। इस कार्यशाला में 40 प्रतियोगी दन्त चिकित्सकों, परास्नातक दन्त चिकित्सकों और स्नातक दन्त चिकित्सकों ने मिल कर भाग लिया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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ग्लोबल हैण्डवाषिंग डे

Posted on 15 October 2012 by admin

युनिसेफ ने 15 अक्टूबर 2012 को ग्लोबल हैण्डवाषिंग डे मनाया गया जिसमे बच्चों ने हाथों के  धोने व स्वच्छता के महत्व व उपयोगिता पर बढ चढ का भाग लिया और समाज मे अधिक से अधिक लोगों मे जागरूकता फैलाने का संकल्प भी लिया। लखनऊ के साथ साथ युनिसेफ द्वारा पूरे प्रदेश मे ग्लोबल हैण्डवाषिंग डे 2012 के अवसर पर हाथों के धोने व स्वच्छता के महत्व संबधित कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।प्रदेश के यूनिसेफ कार्यालय प्रमुख श्री अदेल खुद्र ने बताया कि ’’बच्चे अतिसंवेदनशील होते हैं। वे अनुपातहीन रूप से अतिसारीय रोगों के शिकार हो जाते हैं। महत्वपूर्ण समय में साबुन से हाथ धोने का एक आसान तरीका जैसे कि शौचालय का उपयोग करने के बाद और भोजन करने से पहले हाथ धोना, एक कम लागत और उच्च प्रभाव वाला जीवनरक्षक हस्तक्षेप हो सकता है।’’ इस वर्ष भी उत्तर प्रदेश में लाखों बच्चे, अभिभावकगण, शिक्षकगण और अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ताऐं साबुन से हाथ धोने के लिए और इस संदेश को अन्य परिवारों में फैलाने लिए तत्पर रहेंगे। यह सरल संदेश है - हाथ धोओ जीवन बचाओ।

वाराणसी जिले में स्थित प्राथमिक विद्यालय, कचनार में 12 वर्षीय खुशबू अपने स्कूल में काफी लोकप्रिय है। इनको यह लोकप्रियता ऐसे हासिल नहीं हुई, चार साल पहले जब इन्होंने अपने हाथ साफ रखने के लिए साबुन से हाथ धोने की तरकीब सुझाई तो इनके उत्सुक दोस्तों ने इन्हें चारों तरफ से घेर लिया और आत्मविश्वासी खुशबू ने हाथ धोने के महत्वपूर्ण समय के बारे में अपने दोस्तों को बताया। सन् 2008 के बाद से दुनिया भर के लोगों ने 15 अक्टूबर को ग्लोबल हैण्डवाशिंग डे के रूप में मनाना शुरू किया। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य बीमारियों से बचाव के लिए साबुन से हाथ धोने की महत्व पर जागरूकता फैलाना है। पिछले साल भी दुनिया भर में 70 से अधिक देशों में ग्लोबल हैण्डवाशिंग डे मनाया गया जिसमें 200 मिलियन बच्चों ने भाग लिए। आज वर्ष 2012 में इसकी पाँचवी वर्षगांठ है। उत्तर प्रदेश में भी स्कूलों, शिक्षकों, बच्चों और परिवारों ने इस महत्वपूर्ण अभ्यास के लिए हर वर्ष इस दिवस को मनाने की प्रतिबद्धता जाहिर की और इसके परिणाम उत्साहजनक रहे हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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UP, Chief Minister Shri Akhilesh Yadav supports the campaign

Posted on 07 October 2012 by admin

*“My Ganga, My Dolphin”*
*Final Counts Of Dolphins : 671*

press-1WWF-India,* one of India’s leading conservation organizations with programmes and projects spread across the
country, in partnership with the *Uttar Pradesh Forest Department* and under the aegis of the *HSBC - supported “Rivers for Life, Life for Rivers”

program* has concluded a three day awareness program, *“My Ganga, My
Dolphin”* in and around *Uttar Pradesh from 5th to 7th October 2012.* The
campaign, being launched to survey the number of Gangetic river dolphins
present across a 2800 km stretch of the river Ganga and its tributaries
(Yamuna, Son, Ken, Betwa, Ghagra, and Geruwa), was also look at raising
awareness among local communities in and around the banks of the Ganga
about the presence and conservation of the national aquatic mammal as well
as help in capacity building of stakeholders associated with the
conservation of the mammal. The campaign declaration was made today,
7th October 2012, by Shri Akhilesh Yadav, Hon’ble Chief  Minister of Uttar Pradesh.
The Ganges River Dolphin (Platanista gangetica) commonly known as the
“Susu” or “Soons” is an endemic fauna of the Ganges, Brahmaputra, and
Meghna river systems and is one of the four freshwater dolphins of the
world. Preferring to stay in deep waters in and around the confluence of
two or more rivers, the mammal shares its habitat with crocodiles,
freshwater turtles and wetland birds many of which are fish eaters and are
potential competitors with dolphins. Often known as the “Tiger of the
Ganges” the river dolphin is an indicator animal and has the same position
in a river ecosystem as a tiger in a forest, its presence indicating a sign
of a healthy river ecosystem.

press4Talking about the campaign *Shri Akhilesh Yadav, Hon’ble Chief  Minister
of Uttar Pradesh* said, “I appreciate the efforts being taken to conserve
the Gangetic dolphins through the “My Ganga, My Dolphin” campaign. I would
like to share that my government, along with focusing on preserving the
environment, is also consistently working towards conserving the wild life.
In this concern, we are conducting various awareness campaigns and
activities in the state of Uttar Pradesh to ensure conservation wildlife
and nature. I would like to congratulate all the members of WWF India,
Forest Department and HSBC Bank this successful endeavor. State Government
will provide full support of the campaign ”

*Naina Lal Kidwai, Country Head HSBC India and Director Asia
Pacific*:said, “HSBC is delighted to be associated with the ‘My Ganga My Dolphin’ campaign which
is an integral part of our commitment to the overall mission of
conservation of our water resources. As we all know the Ganga has enormous
relevance to India with millions dependent on the river for their
livelihood. Besides it is home to several natural species and a national
asset attracting tourists from across the globe. We believe in preserving
the Ganga in all its finery and this project is crucial for our endeavour.”*
*

*Dr Rupak De, PCCF* (Wildlife), UP FOREST DEPARTMENT said, “Never in the
history, has such a comprehensive survey of a Gangetic River Dolphin been
conducted. We hope the awareness campaign will generate interest and
ownership amongst various stakeholders and they will come forward to
conserve this endangered species”.

* *

*Mr. Ravi Singh, SG & CEO, WWF-India,* said, “The Ganges river dolphin, the
national aquatic animal of India, is a unique charismatic mega- fauna and
an indicator species for the river ecosystem. The rapid decline in the
number of dolphins across the country is of great concern and needs
immediate attention.  WWF-India has adopted the Ganges river dolphin as a
species of special concern and its work in the Upper Ganga river in the
state of Uttar Pradesh has only confirmed that habitat and aquatic
biodiversity conservation can succeed when the government, communities and
civil society collaborate and work together towards this end.”

Over the last few years the distribution range of these dolphins has shrunk
drastically, with their population being adversely affected by various
developmental activities like the construction of dams and barrages
resulting in lean river flows, indiscriminate fishing, heavy siltation of
rivers due to deforestation, pollution of the river and habitat
destruction. While the population of dolphin in 1982 was estimated to be
between 4000-5000 in India, now it is less than 2000 with an annual
mortality estimated to be at 130-160 animals. The mammal is now listed in
Schedule I of the Indian Wildlife (Protection) Act, 1972 and categorized as
“Endangered” by the World Conservation Union (IUCN) and enjoys high levels
of legal protection, nationally and internationally.

WWF-India  adopted the Ganges River Dolphin as a species of special concern
and initiated a Ganges River Dolphin Conservation programme in 1997.The
organization also conducted the first ever Scientific Status Survey of the
species in the country in collaboration with network partners. In the
process, more than 20 rivers were surveyed, covering a distance of
approximately 6000 km and several river stretches in the country were
identified as ideal habitats for Ganges River Dolphin population and hence
for prioritized conservation action. WWF-India has also formulated a
strategy and Action Plan for the Ganges River Dolphin conservation for the
state of Uttar Pradesh with the help of the State Forest Department and
established partner networks for Ganges River Dolphin Conservation in the
country.

*About WWF-India:*
WWF-India is one of India’s leading conservation organizations with
programmes and projects spread across the country. The organization works
towards the conservation of biodiversity, natural habitats and the
reduction of humanity’s ecological footprint. The mission of WWF-India is
to stop the degradation of the earth’s natural environment and to build a
future in which humans live in harmony with nature.

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
[email protected]
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माइ गंगा, माइ डाॅल्फिन

Posted on 07 October 2012 by admin

भारत के अग्रणी संरक्षण संगठनों में से एक और देषभर में विभिन्न कार्यक्रमों तथा परियोजनाओं से संबद्ध डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया ने एचएसबीसी के समर्थन से आयोजित ’’रिवर्स फाॅर लाइफ, लाइफ फाॅर रिवर्स‘‘ प्रोग्राम के तत्वाधान में उत्तर प्रदेष वन विभाग के साथ मिलकर उत्तर प्रदेष में 5 से 7 अक्टूबर, 2012 के दौरान तीन दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम ’’माइ गंगा, माइ डाॅल्फिन‘‘ अभियान षुरू करने की घोशणा की है। गंगा अभियान का षुभारंभ राज्य में करीब 2800 किलोमीटर में गंगा और उसकी सहयोगी नदियों (यमुना, सोन, केन, बेतवा, घाघरा तथा गेरुवा) में मौजूद डाॅल्फिनों की गिनती करने के मकसद से षुरू किया जा रहा है और साथ ही गंगा के तटों पर गुजर-बसर करने वाले स्थानीय समुदायों को इस राश्ट्रीय दर्जा प्राप्त स्तनपयी जीव की मौजूदगी तथा उसके संरक्षण के बारे में जागरूक भी बनाएगा। गंगा के इस इलाके में पायी जाने वाली डाल्फिनों की संख्या की घोशणा श्री अखिलेष यादव, माननीय मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेष द्वारा 7 अक्टूबर, 2012 को की जाएगी। अभियान की घोशणा आज, 7 अक्टूबर, 2012 को श्री अखिलेष यादव, माननीय मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेष ने की।

press-1गंगा में पायी जाने वाली डाल्फिन ;च्संजंदपेजं हंदहमजपबंद्ध को सामान्य तौर पर ’’सुसु‘‘ या ’’सूंस‘‘ के रूप में जाना जाता है और यह गंगा के अलावा ब्रह्मपुत्र तथा मेघना नदियों में प्राकृतिक रूप से पायी जाती है तथा दुनियाभर में मीठे पानी में पायी जाने वाली डाॅल्फिनों की चार किस्मों में से एक है। डाल्फिन गहरे पानी में और दो या अधिक नदियों के संगम में रहना पसंद करती है और यह मगरमच्छ, मीठे पानी के कछुओं और अन्य पक्षियों के साथ अपने पर्यावास को साझा करती है। इन पक्षियों में से बहुत से तो मछली भक्षक होते हैं और डाल्फिनों के प्रतिद्वंद्वी साबित होते हैं। ’टाइगर आॅफ गैन्जेस‘ के नाम से मषहूर ये डाल्फिन पानी में वही हैसियत रखती है जो किसी जंगल में बाघ की होती है, यानी इनकी मौजूदगी स्वस्थ रिवर इकोसिस्टम का सूचक मानी गई हैं।

अभियान के बारे में श्री अखिलेष यादव, माननीय मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेष ने कहा, ’’मैं इस अभियान ’’माइ गंगा, माइ डाॅल्फिन‘‘ के जरिए गंगा नदी की डाॅल्फिनों के संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना करता हूं। मैं इस मौके पर यह भी कहना चाहता हूं कि मेरी सरकार पर्यावरण पर ध्यान देने के साथ- साथ वन्यजीवन को सुरक्षित रखने की दिषा में भी लगातार प्रयासरत है। हम इस सिलसिले में राज्य में तरह-तरह के जागरूकता अभियानों और गतिविधियों का आयोजन कर रहे हैं ताकि वन्यजीवन और प्रकृति की सुरक्षा सुनष्चित की जा सके। मैं डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया, वन विभाग और एचएसबीसी बैंक को इस कामयाब अभियान पर बधाई देता हूं। राज्य सरकार की तरफ से पूर्ण सहयोग किया जायेगा‘‘

नैना लाल किदवाई, कंट्री प्रमुख, एचएसबीसी इंडिया एवं डायरेक्टर एषिया प्रषांत ने कहा, ’’एचएसबीसी ’माइ गंगा, माइ डाॅल्फिन‘ अभियान से जुड़कर खुषी महसूस कर रहे हैं जो वास्तव में, हमारे जल संसाधनों का संरक्षण करने की हमारी वचनबद्धता का हिस्सा है। जैसा कि हम सभी जानते हैं, गंगा नदी को हमारे देष में काफी महत्व दिया जाता है और लाखों लोगों की आजीविका इसी पर टिकी है। इसके अलावा, यह बहुत-सी प्राकृतिक प्रजातियों का ठिकाना और अहम् राश्ट्रीय परिसंपत्ति भी है जो दुनियाभर से सैलानियों को आकर्शित करती है। हम गंगा नदी को पूरी षिद्दत के साथ संरक्षित करने के लिए संकल्पबद्ध हैं और यह परियोजना हमारे प्रयासों का अहम् हिस्सा है।‘‘

राजा अरिदमन सिंह, माननीय परिवहन मंत्री, उत्तर प्रदेष ने इस अभियान के बारे में कहा, ’’ इस तरह का अभियान स्वतंत्र भारत के 64 साल के इतिहास में पहली बार चलाया जा रहा है। अनियोजित विकास कार्यक्रमों से इकोसिस्टम के लिए खतरा बढ़ा है और इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। यह स्पश्ट है कि गंगा नदी के आसपास गुजर-बसर करने वाले साफ-स्वच्छ गंगा चाहते हैं। मैं डब्ल्यूडब्ल्यूएफ और अन्य गैर सरकारी संगठनों, एचएसबीसी तथा वन विभाग का आभारी हूं जिनकी पहल पर यह अभियान षुरू किया गया है। संरक्षण के बारे में अंतरराश्ट्रीय नीतियों और समझ को हमें ग्रहण करना होगा और साथ ही कार्यक्रम की सुलता के लिए एक ठोस नीति तथा कार्य योजना भी लागू करनी होगी।‘‘
डाॅ रूपक डे, पीसीसीएफ (वाइल्डलाइफ), उत्तर प्रदेष वन विभाग ने कहा, ’’इतिहास में गंगा नदी की डाॅल्फिनों की गिनती का इतना व्यापक सिरे से पहले कभी कोई अभियान नहीं चलाया गया। हमें यकीन है कि यह अभियान विभिन्न संबद्ध पक्षों के बीच दिलचस्पी बढ़ाएगा और वे खुद आगे बढ़कर इस संकटग्रस्त प्रजाति के संरक्षण की जिम्मेदारी संभालेंगे।‘‘
press4अभियान के बारे में श्री रवि सिंह, एसजी एवं सीईओ, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया ने कहा, ’’गंगा नदी में वास करने वाली डाॅल्फिन, जो कि भारत का राश्ट्रीय जलचर है, अपने आप में अद्भुत प्राणी है और रिवर इकोसिस्टम की संकेतक प्रजाति मानी गई है। देषभर में डाॅल्फिनों की संख्या में तेजी से हो रही गिरावट चिंता का विशय है और इस तरफ तत्काल ध्यान दिया जाना जरूरी है। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया ने गंगा नदी की डाॅल्फिन प्रजाति को विषेश दर्जा दिया है और उत्तर प्रदेष में ऊपरी गंगा क्षेत्र में इसकी पहल ने यह साबित कर दिखाया है कि जैव-विविधता और संरक्षण प्रयासों को सरकार, समुदाय तथा आम नागरिक की भागीदारी से सफल बनाया जा सकता है।‘‘

पिछले कुछ वर्शों में इन डाॅल्फिनों के वितरण क्षेत्र में भारी कमी देखी गई है और नदियों में जारी तरह-तरह के विकास कार्यों जैसे बांध और बैराज के निर्माण आदि के चलते नदियों का प्रवाह कमजोर हुआ है। उस पर मछली पकड़ने की बेरोकटोक गतिविधियों, वनों के कटने की वजह से नदियों में बढ़ती गाद, नदियों के प्रदूशण और जीवों के ठिकानों के नश्ट होने के चलते उनकी संख्या भी तेजी से घट रही है। भारत में 1982 मंे डाॅल्फिनों की गिनती 4000 से 5000 के बीच आंकी गई थी और आज यह आंकड़ा गिरकर 2000 तक पहुंच गया है तथा हर साल करीब 130 से 160 डाॅल्फिनों की मौत हो रही है। इस स्तनपायी जीव को अब भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के अंतर्गत अनुसूची 1 में रखा गया है वल्र्ड कंज़रवेषन यूनियन (आईयूसीएन) ने इसे ’संकटग्रस्तः जीव की श्रेणी में रखा था जिसे राश्ट्रीय और अंतरराश्ट्रीय स्तर पर कानूनी सुरक्षा प्राप्त है।

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया ने गंगा नदी की डाॅल्फिन पर विषेश रूप से ध्यान देने का फैसला करते हुए 1997 में इनके संरक्षण के लिए एक अभियान षुरू किया। संगठन ने अपने सहयोगियों की मदद से पहली बार देषभर मंे इस प्रजाति की गणना के लिए एक वैज्ञानिक सर्वे भी कराया। इस प्रक्रिया में करीब 20 नदियों का सर्वेक्षण किया गया और लगभग 6000 किलोमीटर में फैली कई नदियों के क्षेत्रों को खंगाला गया, ये वही क्षेत्र थे जो गंगा नदी में पायी जाने वाली डाल्फिनों के आदर्ष पर्यावास माने जाते हैं और यही वजह थी कि उन्हें संरक्षण प्रयासों के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के तौर पर लिया गया। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया ने उत्तर प्रदेष में गंगा नदी की डाॅल्फिनों के संरक्षण के लिए एक रणनीति और कार्य योजना बनायी है तथा राज्य के वन विभाग की मदद से उनके संरक्षण के लिए अभियान षुरू किया है और इस मकसद से पार्टनर नेटवर्क भी स्थापित किए हैं।

इस सर्वे की आवष्यकता के बारे में डाॅ संदीप कुमार बेहरा, एसोसिएट डायरेक्टर, रिवर बेसिन्स एंड बायोडायवर्सिटी, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया ने कहा, ’’डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया का अनुमान है कि उत्तर प्रदेष में 2005 में गंगा नदी में लगभग 600 डाॅल्फिन थीं। लेकिन उसके बाद से अब तक इस प्रजाति की संख्या के बारे में कोई ठोस काम नहीं किया गया। हमें उम्मीद है कि इस अभियान के पूरा होने पर हमारे पास इस प्रजाति की सही संख्या की जानकारी होगी और हम उत्तर प्रदेष में उनके संरक्षण के लिए कोई ठोस कार्य योजना षुरू कर सकेंगे।‘‘

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
[email protected]
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