Posted on 31 July 2009 by admin
लखनऊ- उच्च शिक्षा विभाग निजी क्षेत्र के विश्वविद्यालयों के लिए मॉडल एक्ट बनाने की कवायद में जुटा है। मॉडल एक्ट बनाने का मकसद निजी क्षेत्र के विश्वविद्यालयों को नियंत्रित और उनमें शैक्षिक गुणवत्ता सुनिश्चित करना है। इस एक्ट के वजूद में आ जाने पर शासन को सबसे बड़ी सुविधा यह होगी कि उसे भविष्य में खुलने वाले निजी विश्वविद्यालयों के लिए विधायिका से अलग-अलग विधेयक को मंजूरी दिलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। छतरी की भूमिका निभानेवाले मॉडल एक्ट के अंतर्गत ही सभी निजी विश्वविद्यालय अस्तित्व में आ सकेंगे और नियंत्रित भी होंगे।
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में निजी क्षेत्र द्वारा पूंजीनिवेश किया जा रहा है। संसाधनों के अभाव का सामना कर रही राज्य सरकार की भी यह मंशा है कि सूबे में उच्च शिक्षा के संस्थान और विश्वविद्यालय खोलने के लिए निजी क्षेत्र आगे आये। सूबे के राज्य विश्वविद्यालय उप्र विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 से नियंत्रित और निर्देशित होते हैं लेकिन प्रदेश में निजी विश्वविद्यालयों के लिए कोई छतरीनुमा एक्ट नहीं है। राज्य में छह निजी विश्वविद्यालय हैं जो अलग- अलग एक्ट से नियंत्रित हो रहे हैं। इसी कमी को दूर करने के लिए उच्च शिक्षा विभाग निजी विश्वविद्यालयों के लिए मॉडल एक्ट बनाने में जुटा है। इसके लिए हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, आदि प्रदेशों में निजी विश्वविद्यालयों के लिए बनाये गए अधिनियमों का अध्ययन कर न्याय विभाग की मदद से एक प्रारूप तैयार कराया गया है। इस प्रारूप में संशोधन सुझाने के लिए उसे डॉ. राममनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय को भेजा गया था। विधि विश्वविद्यालय ने अपने सुझावों समेत यह प्रारूप उच्च शिक्षा विभाग को वापस भेज दिया है।
सूत्रों के अनुसार प्रारूप में निजी विश्वविद्यालयों के लिए प्रतिभूति के तौर पर एक निश्चित धनराशि सरकार के पास जमा कराने का प्रावधान है। निजी विश्वविद्यालयों में कुलाधिपति की नियुक्ति के लिए राज्यपाल का अनुमोदन अनिवार्य करने का भी प्रावधान है। प्रारूप में यह भी व्यवस्था की गई है कि यदि कोई निजी विश्वविद्यालय अपने घोषित उद्देश्यों से भटकता है या फिर वहां कोई वित्तीय अनियमितता उजागर होती है तो राज्य सरकार उसके क्रियाकलाप में हस्तक्षेप कर सकती है। यह भी ख्याल रखा गया है कि यदि निजी विश्वविद्यालय में चल रहे पाठ्यक्रमों की अवधि से पहले ही विश्वविद्यालय बंद होने की नौबत आ जाए तो राज्य सरकार कोर्स की शेष अवधि के लिए वहां प्रशासक नियुक्त कर सकती है ताकि विद्यार्थियों का नुकसान न हो।
फिलहाल इस प्रारूप पर तेजी से कार्यवाही चल रही है। सूत्रों के अनुसार प्रारूप में विद्यार्थियों के सरोकार और निजी क्षेत्र के हितों, दोनों का ही समावेश किया जा रहा है और इस लिहाज से इसमें अभी फेरबदल की गुंजाइश है।
Posted on 30 July 2009 by admin
नई दिल्ली-राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (आरजीजीवीवाई) की प्रगति पर नजर रखने के लिए सरकार ने जिला स्तर पर समितियां बनाने का फैसला किया है। ऊर्जा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी गांवों में बिजली पहुंचाने की इस महत्वाकांक्षी योजना को लेकर सरकार गंभीर है और इसमें कोताही बरतने नहीं दी जाएगी। योजना पर कारगर तरीके अमल किया जा सके, इसलिए स्थानीय विधायकों और सांसदों को भी इस समिति में शामिल किया जाएगा।
राज्य सभा में ऊर्जा राज्य मंत्री भरत सिंह सोलंकी ने एक लिखित जवाब में यह जानकारी दी है। आरजीजीवीवाई के जरिए प्रस्ताव किया गया है कि ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना (2007-12) के अंत तक कम से कम 1,18,146 गांवों में विद्युतीकरण किया जाना चाहिए। यह दरअसल साल 2012 तक सबको ऊर्जा उपलब्ध कराने की सरकार की योजना का ही एक आंतरिक कार्यक्रम है। जून 2009 तक ऐसे गांवों की संख्या 62,527 थी, जहां बिजली पहुंच चुकी है, जबकि देश के 55,619 गांव अब भी अंधेरे में हैं। सोलंकी ने कहा, ‘हर प्रदेश के मुख्यमंत्री से अनुरोध किया गया है कि वे इस योजना पर अमल करने में हमारी मदद करें। इसके अलावा राज्यों के मुख्य सचिवों से कहा गया है कि ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के रास्ते में जो अवरोध आ रहे हैं उन्हें दूर करने के लिए प्राथमिकता के हिसाब से कार्रवाई की जाए। इसके लिए राज्य स्तरीय कोऑर्डिनेशन कमिटी की मदद ली जा सकती है।’ उन्होंने बताया कि इस योजना के तेज कार्यान्वयन के लिए समाज के हर तबके के मदद की जरूरत है।
Posted on 30 July 2009 by admin
नई दिल्ली - मिस्र में जारी भारत-पाक साझा बयान पर उठे बवंडर को शांत करने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बुधवार को संसद में खड़े हुए। उन्होंने अमेरिका के साथ सामरिक साझेदारी बढ़ाने के लिए हुए एंड यूजर समझौते पर छाई धुंध भी साफ करने की कोशिश की। विदेशी नीति के हालिया फैसलों पर खड़े हो रहे सवालों पर लोकसभा में सफाई दे रहे प्रधानमंत्री ने कहा कि अमेरिका के साथ साझेदारी बढ़ाने के लिए करार हुआ है, लेकिन देश की संप्रभुता के साथ किसी तरह का समझौता नहीं किया गया है।
विपक्ष के तीखे सवालों का जवाब देते हुए मनमोहन ने कहा कि संप्रग सरकार ने पिछली सरकारों के फैसलों को ही आगे बढ़ाते हुए अमेरिका से बात की है, जो एंड यूजर समझौते की शक्ल में सामने आया है। उन्होंने कहा कि समझौते में अमेरिकी निरीक्षण का उपबंध तो है, लेकिन यह एकतरफा नहीं होगा। भारत के पास अमेरिकी निरीक्षण की जरूरत और प्रक्रिया पर अपनी बात रखने का पूरा मौका होगा। साथ ही, जांच की किसी भी दरख्वास्त पर कार्रवाई तभी होगी जब दोनों पक्षों के बीच जगह और तारीख को लेकर सहमति होगी। प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि इस समझौते में सैन्य उपकरणों की मौके पर जांच या संवेदनशील क्षेत्रों में प्रवेश की इजाजत का कोई प्रावधान नहीं है।
अमेरिका के साथ हुए एंड यूजर समझौते की वकालत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश पर बढ़ते खतरों को देखते हुए यह जरूरी है कि हम बेहतरीन तकनीक हासिल करें, चाहे वह जहां से भी मिले। हम अपनी सेनाओं के लिए उच्चतम गुणवत्ता के उपकरण हसिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
मनमोहन ने परमाणु करार और नाभिकीय पुनर्प्रसंस्करण तकनीक हस्तांतरण के संबंध में जी-8 देशों के समूह के साथ भारत ने कोई समझौता नहीं किया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस संबंध में हो रही चर्चा के दौरान नाभिकीय प्रदाता समूह [एनएसजी] भारत को दिए गए ‘विशेष दर्जे’ का ध्यान रखेगा। प्रधानमंत्री ने यह भी साफ किया कि भारत का गैर-परमाणु हथियार संपन्न देश के रूप में परमाणु अप्रसार संधि पर दस्तखत करने का सवाल ही नहीं है।
जलवायु परिवर्तन समझौते के संबंध में भी प्रधानमंत्री ने साफ किया कि भारत की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं आया है। उन्होंने कहा कि विकासशील देशों की आवाज जोरदार तरीके से रखने के लिए भारत अन्य देशों के साथ भी इस बारे में संपर्क में है।
Posted on 30 July 2009 by admin
नई दिल्ली-केंद्रीय वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि भारत डब्लूटीओ में शिरकत करने के लिए हमेशा तैयार है,लेकिन इसके लिए जरूरी है कि विकासशील देशों की विकास की दिशा में चल रही प्रक्रिया को भी अमीर देश समझें। उन्होंने कहा कि विश्व व्यापार संगठन (डब्लूटीओ) की सही मायने में सार्थकता तभी मुमकिन है, जब संगठन के मंच पर विकासशील देशों की बात सुनी जाए।
प्रश्नकाल के दौरान सदस्यों ने जानना चाहा था कि भारत की डब्लूटीओ में भूमिका कहां तक सफल हुई है। उल्लेखनीय है कि पिछले साल 2008 में जिनीवा में हुई वाणिज्य मंत्रियों की बैठक नाकाम हो गई थी। इस बैठक में वैश्विक व्यापारिक उदारीकरण के बाद किसानों के हितों की सुरक्षा की सीमा को लेकर अमीर देशों और विकासशील देशों के बीच मतभेद पैदा हो गए थे।
आनंद शर्मा ने कहा कि विकासशील देशों के समूह जी-20 और जी- 33 के साथ भारत समान विचारों की भागीदारी को लेकर सक्रिय है। भारत दोहा बातचीत की प्रक्रिया को फिर से सार्थक ढंग से आगे बढ़ाने का इच्छुक है और सितंबर में वाणिज्य मंत्रियों का सम्मेलन बुलाने पर जोर दे रहा है। इसमें डब्ल्यूटीओ के महानिदेशक भी भाग लेंगे।
बीजेपी और सीपीएम सदस्यों ने सवाल-जवाब के दौरान आशंका जाहिर की कि यूपीए सरकार अपनी पहली पारी में सख्त दृष्टिकोण रखने के बाद अब दूसरी पारी में नरम रुख अपना कर किसानों के हितों के साथ कहीं समझौता न करे।
Posted on 30 July 2009 by admin
मुंबई- विधानसभा चुनाव से ठीक पहले महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने राज्य में वर्ष 2000 से पहले बनी अवैध झुग्गी बस्तियों को नियमित करने का फैसला किया है। विधानसभा चुनाव के सिर्फ दो माह बाकी रहते राज्य सरकार का यह फैसला काफी अहम माना जा रहा है।
कैबिनेट की बैठक के बाद आवास विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘वर्ष 2000 तक बस चुकी ऐसी झुग्गी बस्तियों को नियमित करने की समय सीमा बढ़ाने की गुजारिश सुप्रीम कोर्ट से करने से पहले सरकार इस संबंध में विशेष आवेदन देगी।’
विभाग द्वारा लाए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि 1 जनवरी 2000 से पहले अस्तित्व में आ चुकी बस्तियों को संरक्षण प्रदान किया जाना चाहिए। सरकार ने इससे पहले 1995 से पूर्व बस चुकी झुग्गी बस्तियों को भी नियमित कर दिया था।
Posted on 29 July 2009 by admin
नई दिल्ली- समलैंगिकता को अपराध बनाने वाली भारतीय दंड संहिता [आईपीसी] की धारा 377 सरकार के लिए गले की फांस बन गई है। इस संबंध में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब जल्दी ही केंद्र को सुप्रीम कोर्ट के सामने अपनी राय रखनी है। लेकिन इसको लेकर विभिन्न मंत्रालयों में एकराय नहीं बन पा रही। मंगलवार को स्वास्थ्य, गृह और कानून मंत्रियों की बैठक में इस मामले को कैबिनेट में तय किए जाने का फैसला किया गया।
स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद, गृह मंत्री पी चिदंबरम और कानून मंत्री वीरप्पा मोइली की बैठक के बाद मोइली ने कहा, ‘दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले का हमने बेहद बारीकी और विस्तार से विश्लेषण किया है। अब इसका मसौदा कैबिनेट के सामने रखा जाएगा।’
इस बैठक के दौरान मोइली ने सतर्क करते हुए कहा कि हाईकोर्ट के फैसले के विरोध में जाने के लिए कानूनी आधार मजबूत नहीं। इसलिए बेहतर यही होगा कि सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ न खड़ा हुआ जाए। हालांकि तय यही किया गया कि इस पर कोई भी फैसला कैबिनेट पर छोड़ दिया जाए।
Posted on 29 July 2009 by admin
नई दिल्ली - केंद्र सरकार कितनी निरीह और असहाय है कि कांग्रेस शासित हरियाणा में कुनबों की झूठी शान में हो रही हत्याओं पर कुछ कर नहीं सकती। देश के गृहमंत्री पी. चिदंबरम बेबाकी से राज्यसभा में शर्मिदगी जताते हैं और ऐसी घटनाओं की कठोर निंदा भी करते हैं, लेकिन नतीजे के नाम पर वह सिर्फ राष्ट्रव्यापी बहस से आगे नहीं बढ़ पाते। कारण है कि ‘आनर किलिंग’ के लिए कोई अलग कानून नहीं है और फिर यह मामला भी राज्य सरकार की कानून-व्यवस्था के दायरे में आता है।
पंचायतों या खापों के तुगलकी फरमानों और झूठी प्रतिष्ठा में जान लेने के बढ़ते मामलों पर माकपा नेता बृंदा करात ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाई थीं। उसी का जवाब देते हुए चिदंबरम ने इस मुद्दे पर जोरदार वक्तव्य दिया, लेकिन कानून का हवाला देते हुए मजबूरी भी जता दी कि हरियाणा सरकार को किसी कार्रवाई के लिए बाध्य करने में केंद्र सक्षम नहीं। अलबत्ता गृह मंत्री ने झज्जर में पिछले हफ्ते हुई घटनाओं में लिप्त लोगों पर सख्त कार्रवाई की बात की, लेकिन उनके पूरे बयान का लब्बोलुवाब यही था कि केंद्र सरकार सीधे इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
दिल्ली के ठीक बगल में पिछले हफ्ते हुई घटना के साथ तमाम वाकयों का जिक्र करते हुए चिदंबरम ने कहा, ‘21वीं सदी में झूठे सम्मान की रक्षा में परिवार या महिलाओं के साथ जघन्य अपराधों की घटना से हमारा सिर शर्म से झुक जाता है।’ उन्होंने प्रतिष्ठा के नाम पर हो रही हत्याओं को रोकने के लिए अलग से कानून या कोई अन्य प्रावधान की बहस पर भी जोर दिया। घटना की घोर निंदा करते हुए उन्होंने सरकार की मजबूरी भी गिनाई। उन्होंने कहा, ‘इस तरह की घटनाओं की जड़ें सदियों से चली आ रही गलत परंपराओं और रूढि़यों की देन हैं और आमतौर पर यह पारिवारिक या सामाजिक मामला बनकर रह जाता है।’ उन्होंने इस प्रवृत्ति पर चिंता जताते हुए कहा कि आनर किलिंग को रोकने के लिए सरकार किसी भी व्यापक बहस के लिए तैयार है।
चिदंबरम ने यह जरूर गिनाया कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने अब तक क्या किया है। महिला आयोग से लेकर मानवाधिकार आयोग व राज्य सरकार से ब्यौरा तलब करने जैसे प्रावधानों का उन्होंने उल्लेख किया। लेकिन, उनके पूरे बयान से एक बात साफ जाहिर थी कि केंद्र सरकार भरपूर चिंता के बाद भी राज्यों में हो रहे ऐसे मामलों में फिलहाल तो सीधे कुछ करने में सक्षम नहीं है।
Posted on 29 July 2009 by admin
शिमला - हिमाचल प्रदेश लोक प्रशासन संस्था (हिप्पा) में आपदा प्रबंधन को लेकर मंथन किया गया। पांच दिवसीय कार्यशाला में प्रदेश के हर जिले के 22 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। कार्यशाला में मुख्य रूप से दिल्ली से आए रिसोर्सपर्सन अमर अली खान ने अधिकारियों के साथ अपने अनुभव साझा किए।
31 जुलाई तक चलने वाली इस कार्यशाला में जलवायु विषय पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। इंडियन नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट दिल्ली से आए खान ने मंगलवार को हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य में भू-स्खलन से उत्पन्न खतरों को कम करने और उससे निपटने के विभिन्न उपायों पर विस्तृत जानकारी दी। हिमाचल में आपदा प्रबंधन के मुख्य बिंदुओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यहां प्राकृतिक आपदाओं से उत्पन्न खतरे ज्यादा प्रभावित करते हैं। उन्होंने भूकंप से उत्पन्न होने वाले खतरों और क्षति का जायजा लेने के लिए भी कई टिप्स दिए।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अधिकारी एसएस रंधावा ने भी भू-स्खलन और उससे निपटने के उपायों पर प्रकाश डाला। उन्होंने अचानक आने वाली बाढ़ और आगजनी जैसी घटनाओं से निपटने के कई उपाय बताए। राजस्व विभाग के संयुक्त सचिव ने भी आपदा प्रबंधन पर अपने अनुभव साझा किए।
कार्यशाला में दूरस्थ संवेदनशील क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं से उत्पन्न समस्याओं पर भी गहन चिंतन हुआ। कार्यशाला में स्वास्थ्य संबंधी पहलुओं पर भी विचार-विमर्श होगा। कार्यशाला का उद्घाटन विभाग की अतिरिक्त निदेशक उर्मिल ज्ञान भारती ने किया। हिप्पा के संयुक्त नियंत्रक जेआर शर्मा ने बताया कि कार्यशाला में आपदा प्रबंधन को लेकर विचार किया जाएगा। यह कार्यशाला इंडियन नेशनल डिजास्टर मैजमेंट दिल्ली के सहयोग से आयोजित की जा रही है।
Posted on 28 July 2009 by admin
भोपाल- मध्य प्रदेश की 24 जेलों में 83 कैदी एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं। इनमें से 75 विचाराधीन और 8 दोषी हैं। अधिकारियों के मुताबिक जेलों के इन 120 कैदियों पर छह महीने पहले यह टेस्ट कराया गया था। सबसे ज्यादा भोपाल सेंट्रल जेल में 61 एड्स पीड़ित कैदी पाए गए।
दूसरे नंबर पर रही इंदौर जेल, जहां 7 कैदियों और अंडरट्रायल्स को एड्स की गिरफ्त में पाया गया। सिहोर जेल में 3, उज्जैन सेंट्रल जेल, मुलताई और नीमच की जेलों में दो-दो कैदी एड्स पीड़ित मिले। रीवां, छिंदवाड़ा, मांडला, ग्वालियर, सागर और जबलपुर की जेलों में ऐसा एक-एक कैदी मिला।
राज्य के एआईजी (जेल) ए. के. खरे ने सफाई दी कि ये 83 कैदी जेल में नहीं, बल्कि पहले से ही एड्स पीड़ित थे। खरे ने इस बात से भी इनकार किया कि इस बीमारी के पीछे समलैंगिकता या पुराना रेजर इस्तेमाल किया जाना है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों पर एचआईवी टेस्ट किया गया जो नशीली दवाओं के आदी थे और ठीक नहीं थे।
Posted on 28 July 2009 by admin
लखनऊ- आस्कर पुरस्कार प्राप्त डाक्यूमेंट्री ‘स्माइल पिंकी’ में मुख्य किरदार निभाने वाली आठ वर्षीय पिंकी सोनकर को फिर मुस्कुराने का मौका मिला है। पिंकी को गोद लेकर पढ़ाने का जिम्मा उठाने वाले लखनऊ पब्लिक स्कूल प्रबंधन ने मंगलवार को पिंकी का दाखिला करवाया।
स्कूल प्रबंधन ने पिंकी का दाखिला हरदोई जिले के माधोगंज स्थित शाखा में करवाया है। पिंकी को कक्षा दो में प्रवेश दिया गया है। स्कूल प्रबंधन के अधिकारी पिंकी और उसके पिता राजेंद्र सोनकर को लेकर सोमवार शाम हरदोई पहुंचे। स्कूल 12वीं तक पिंकी की पढ़ाई और रहने खाने का पूरा इंतजाम करेगा।
स्कूल के निदेशक डा. सुशील कुमार ने बताया कि पिछले दिनों जब हमें पता चला कि आस्कर पुरस्कार प्राप्त डाक्यूमेंट्री में काम करने वाली पिंकी स्कूल न जाकर मिर्जापुर जिले स्थित अपने गांव में लोगों के घरों में बर्तन साफ कर रही है तो हमें बहुत दुख हुआ। उसके बाद स्कूल प्रबंधन ने उसे पढ़ाने का फैसला किया।
कुमार ने कहा कि हमने पिंकी के पिता से कहा कि हम उसे गोद लेकर पढ़ाना चाहते हैं, तो वह तैयार हो गए। खुशी से उनकी आंखों में आंसू छलक आए थे। उन्होंने कहा कि पिंकी का कहना है कि वह भविष्य में गरीबों की सेवा करने के लिये डाक्टर बनना चाहती है।
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी निर्देशक मेगन माइलन की 39 मिनट की डाक्यूमेंट्री ‘स्माइल पिंकी’ को वर्ष 2008 में आस्कर पुरस्कार से नवाजा गया था।